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रहस्यमय जगह देखने के हैं शौकीन तो घूमिये अग्रसेन की बावली !

अगर आपको रहस्यमय जगहों पर घूमने और उनके बारे में जानने का शौक है, तो इस बार दिल्ली में स्थित अग्रसेन की बावली घूम आइये. यहां दूर-दूर से सैलानी इस बावली को देखने के लिए आते हैं. अभिनेता आमिर खान की फिल्म ‘पीके’ की शूटिंग के बाद काफी पर्यटक इस बावली को देखे के लिए जाने लगे थे. यहां का शांत और सन्नाटे वाला वातावरण सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. यह बावली एक संरक्षित स्मारक है और दिल्ली के पर्यटक स्थलों में से एक है. अग्रसेन की बावली सबसे पहले कब बनाई गई थी इसके बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिलती है.

अग्रसेन की बावली
अग्रसेन की बावली

यहां हुई है कई फिल्मों की शूटिंग  – 

कहा जाता है कि इस बावली को महाराजा अग्रसेन नामक अग्रोहा के राजा ने बनवाया था. जिसके नाम पर इस बावली का नाम पड़ा. 14 वीं शताब्दी में अग्रवाल समुदाय द्वारा इसे फिर से बनाया गया. यह बावड़ी न केवल एक जलाशय के रूप में बल्कि सामुदायिक स्थान के तौर पर निर्मित की गई थी. माना जाता है कि उस वक्त की महिलाएं इस कुएं पर इकट्ठा होती थीं और यहां के शांत वातावरण में आराम कर गर्मी से बचती थीं. इस बावली की लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है.

पूरी सरंचना चट्टानों और पत्थरों का उपयोग करके बनाई गई है. यहां 100 से ज्यादा सीढ़ियां हैं जो आपको जल स्तर तक ले जाती हैं और जैसे-जैसे आप नीचे जाते हैं रोमांच बढ़ता जाता है. ऊपर से यह बावली लाल बलुए पत्थरों से बनी दीवारों की वजह से काफी सुंदर दिखती है पर जैसे ही सैलानी इसकी सीढ़ियां उतरते हैं,

एक अजीब तरह का डर और रोमांच बरकरार रहता है. यह भी कहा जाता है कि इस जगह पर लोगों को भूतिया अनुभव होता है, जिसकी वजह से यह रहस्यमय जगहों की सूची में शुमार है. बताया जाता है कि बावली के भीतर के पानी में कई लोगों की मौत हुई थी. हालांकि, इसकी सच्चाई के बारे में कोई ऐतिहासिक तथ्य और दस्तावेज नहीं हैं.

यहां ‘झूम बराबर झूम’ फिल्म की शूटिंग भी हुई थी. इस बावली के पश्चिमी कोने में एक मस्जिद भी बनी है जो बौद्ध काल की कुछ असाधारण संरचनाओं से मेल खाती है. इस बावड़ी का देखरेख आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया करती है. यह दिल्ली की उन बावड़ियों में से एक है जो अभी अच्छी स्थिति में है.

 

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