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धरती पर किसी क्षुद्रग्रह से नहीं तो कहां से आया पानी( water )

धरती पर पानी: धरती पर मौजूद बहुत सी चीजों को लेकर अब भी रहस्‍य बना हुआ है. इन्‍हीं में एक है धरती पर मौजूद पानी. ( water ) अभी तक ये ठोस तौर पर स्‍थापित नहीं किया जा सका है कि धरती पर पानी कहां से आया? कैसे पृथ्‍वी पर समुद्र, महासागर, नदी और तालाबों जैसे जलस्रोत बने. अब तक हुए कई अध्‍ययनों में इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की गई है.

शोधकर्ताओं ने अपनी-अपनी थ्‍योरी पेश कीं. इन्‍हीं में कुछ शोध के मुताबिक, क्षुद्रग्रह धरती पर पानी लेकर आए. वहीं, कुछ अध्‍ययनों में कहा गया कि जमे हुए धूमकेतु ही धरती पर जलस्रोतों के लिए जिम्‍मेदार हैं. अब एक नए शोध ने इन सभी थ्‍योरीज को सिरे से खारिज कर दिया है. धरती पर पानी को लेकर किए गए नए शोध में पता चला है कि पृथ्‍वी ने खुद पानी तैयार किया था.

कार्नेगी साइंस की रिसर्च के मुताबिक, धरती पर पानी गहरे अंतरिक्ष से नहीं आया. इसके लिए क्षुद्रग्रह किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं थे. शोध के मुताबिक जब हमारा ग्रह पृथ्‍वी धीरे-धीरे बन रहा था तो उस समय वायुमंडल में हाइड्रोजन प्रचुर मात्रा में मौजूद थी. धरती के हाइड्रोजन से भरपूर वायुमंडल और मैग्मा महासागरों के बीच रासायनिक क्रिया हुई, जिससे पानी तैयार हुआ.

शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि धरती ने खुद अपने लिए पानी तैयार किया. वैज्ञानिक अनत शार, एडवर्ड यंग और हिल्के श्लिचिंग की रिसर्च एक्सोप्लैनेट पर आधारित है. कार्नेगी साइंस की रिसर्च के मुताबिक, पृथ्वी के अस्तित्व के शुरुआती दौर में मैग्मा महासागर और हाइड्रोजन प्रोटो-वायुमंडल के बीच क्रिया से पानी निकला होगा. शार ने बताया कि एक्सोप्लैनेट की खोजों ने हमें बताया कि ग्रह के बनने से लाखों साल पहले के वायुमंडल में हाइड्रोजन होना आम बात थी.

नई स्टडी बताती है कि गहरे अंतरिक्ष से धरती पर पानी आने की थ्‍योरी गलत है. अब तक यही दावा किया जाता रहा है कि धरती पर अधिकांश पानी के लिए क्षुद्रग्रह का टकराना जिम्मेदार है. नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि वाष्पशील और जैविक तौर पर समृद्ध सी-टाइप के क्षुद्रग्रह पृथ्वी के पानी के शुरुआती स्रोतों में एक हो सकते हैं.

नई रिसर्च में दूर के तारों की परिक्रमा करने वाले एक्सोप्लैनेट्स का अध्‍ययन किया गया. इससे पता चला कि विकसित ग्रह को बनाने के लिए टकराने वाली चट्टान की सामग्री पूरी तरह से सूखी थी. आणविक हाइड्रोजन वातावरण और मैग्मा महासागर के बीच क्रिया से पानी पैदा हुआ. इसके अलावा अन्य जलस्रोत भी संभव हैं.

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