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hydrogen : पेट्रोल के मुकाबले 3 गुना कम आएगा खर्च, जाने पूर खबर

नई दिल्ली। hydrogen : पेट्रोल के मुकाबले 3 गुना कम आएगा खर्च, जाने पूर खबर देश में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में रोजना बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, वहीं केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी हाइड्रोन से चलने वाली कार को बढ़ावा दे रहे हैं इसी क्रम में नितिन गडकरी ने आज ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली कार में बैठकर संसद पहुंचे, जो भारत में हाइड्रोजन से चलने वाली पहली कार है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत मंत्री ने आज सुबह कार में अपने आवास से संसद की यात्रा की। आइये जानते हैं हाइड्रोजन से चलने वाली इस गाड़ी की खासियत आमतौर पर एक औसत कार 1 लीटर पेट्रोल में 20 किलोमीटर का माइलेज देती है।

hydrogen कार से संसद पहुंचे नितिन गडकरी, पेट्रोल के मुकाबले 3 गुना कम आएगा खर्च

ऐसे में प्रतिकिलोमीटर खर्च करीब 5 रुपये प्रतिकिलोमीटर खर्च आएगा। जबकि हाइड्रोजन कार का ईंधन खर्च 2 रुपये प्रतिकिलोमीटर का दावा किया है। ऐसे में पेट्रोल की तुलना में हाइड्रोजन कार का फ्यूल खर्च तीन गुना कम हो सकता है। समाचार एजेंसी के अनुसार, मंत्री को ड्राइवर के बगल में कार की आगे की सीट पर बैठे संसद भवन में जाते हुए देखा गया है, जहां सफेद रंग की कार में हरे रंग की नंबर प्लेट लगी हुई है। जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों में भी किया जाता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 16 मार्च को ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली देश की पहले कार ज्वलवजं डपतंप को लान्च किया था।

hydrogen : जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों में भी किया जाता है

उस दौरान मंत्री ने कहा था कि फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल हाइड्रोजन द्वारा संचालित है, जो सबसे बेस्ट जीरो- इमिशन सोल्यूशंस देता है। यह कार पूरी तरह से इनवायरमेंट फैंडली है। इस हाइड्रोजन से चलने वाली कार को कथित तौर पर एक बार टैंक फुल करने के बाद 600 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है। जिससे यात्रा की लागत केवल 2 रुपये प्रति किलोमीटर तक कम हो जाती है। वहीं दावा किया गया है इसका टैंक भरने में केवल 5 मिनट का समय लगता है।

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मिराई में प्रयुक्त टोयोटा फ्यूल सेल सिस्टम हाइड्रोजन और आक्सीजन के बीच प्रतिक्रिया से बिजली पैदा करता है। मिराई कस्टमर इसे उसी तरह हाइड्रोजन ईंधन से भरते हैं, जैसे पेट्रोल, डीजल, सीएनजी खरीदते हैं। ईंधन (हाइड्रोजन) उच्च दबाव वाले टैंकों में समाहित होता है और एक ईंधन सेल स्टैक में डाला जाता है, जहां हवा में स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले हाइड्रोजन और आक्सीजन एक दूसरे के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और बिजली उत्पन्न करते हैं।

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