अंतराष्ट्रीय

पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने से यूएन पर कितना पड़ेगा फर्क (यूएन )

संयुक्त राष्ट्र: कहते हैं कि अगर अपना घर शीशे का हो तो दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते. लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है. दूसरों के मामलों में टांग अड़ाने की उसकी पुरानी आदत है. अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर से पाकिस्तान को मिर्ची इतनी तेज लगी है कि वो उसे न ही निगल पा रहा है न ही उगल पा रहा है. अब पाकिस्तान ने बाकायदा चिट्ठी लिखकर संयुक्त राष्ट्र     (यूएन ) में इसकी शिकायत की है. लेकिन क्या संयुक्त राष्ट्र राम मंदिर के मामले में कोई दखल दे सकता है. किसी देश के मामले में हस्तक्षेप करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र के क्या नियम हैं? आइए इसके बारे में जानते हैं.

पाकिस्तान के दिलो-दिमाग में छाया राम मंदिर
अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम इतना दिव्य और भव्य हुआ कि पाकिस्तान के दिलो-दिमाग में छाया हुआ है. भारत और भारतीयों की खुशी उसे फूटी आंख नहीं सुहा रही है. 500 साल बाद भारत और भारतीयों को अपने प्रभु को टेंट से मंदिर में लाने का मौका मिला. लेकिन पाकिस्तान को मिर्ची इतनी तेज लगी है कि उसका तीखापन खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. मंदिर मस्जिद के नाम पर झगड़ा खत्म होने के दशकों बाद अयोध्या में गंगा-जमुनी तहजीब की धारा बह रही है. लेकिन पाकिस्तान के हलक के नीचे नहीं उतर रहा. प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में हिन्दुओं के साथ मुसलमानों ने भी हिस्सा लिया तो पाकिस्तान दोनों का मिलना मंजूर नहीं हुआ.

यूएन में रोने पहुंच गया पाकिस्तान

यूएन में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम पाकिस्तानी हुक्मरानों में शामिल वो शख्सियत है जो हमेशा हिन्दुस्तान के खिलाफ बोलने से नहीं थकते. वो शख्सियत जिन्हें भूख से मरती पाकिस्तानी जनता की गरीबी तो मंजूर है. लेकिन भारत के मामलों में दखल देने से खुद को रोक नहीं पाते. वो शख्सियत जिन्हें पाकिस्तान के विकास से कोई मतलब नहीं. लेकिन भारत को नसीहत देने में मजा आता है. अयोध्या में राम मंदिर बनने से ये इतने दुखी हैं कि संयुक्त राष्ट्र में बाकायदा चिट्ठी लिखकर उसकी शिकायत कर रहे हैं.

पाकिस्तान ने राम मंदिर पर क्या कहा?

संयुक्त राष्ट्र को भेजी गई चिट्ठी में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने लिखा कि पाकिस्तान भारत के अयोध्या में ध्वस्त बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा की कड़े शब्दों में निंदा करता है. ये ट्रेंड भारतीय मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कल्याण के साथ-साथ क्षेत्र में सद्भाव और शांति के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है. भारत में इस्लाम से संबंधित विरासत स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने की तत्काल जरूरत है.

यूएन को चिट्ठी में लिख दी ये बात

चिट्ठी में ये भी लिखा गया कि मामला बाबरी मस्जिद से भी आगे बढ़ चुका है. भारत में मौजूद अन्य मस्जिदों को भी इसी तरह के खतरों का सामना करना पड़ रहा है. अफसोस की बात ये है कि ये कोई अकेली घटना नहीं है. क्योंकि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद सहित अन्य मस्जिदों को भी अपमान और मिटाने के खतरों का सामना करना पड़ रहा है.

दखलअंदाजी को लेकर यूएन का नियम

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र किसी देश के मामले पर यूं ही दखल नहीं दे सकता है. यूएन चार्टर के आर्टिकल 2 (7) के मुताबिक, अगर किसी देश का कोई आंतरिक मामला है तो उसमें यूएन दखल नहीं दे सकता है. हर देश की अपनी संप्रभुता है. उसमें दखलअंदाजी का यूएन को अधिकार नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र कब करता है हस्तक्षेप?
आइए जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र कब और किन मामलों में दखल दे सकता है. इसको लेकर क्या अंतरराष्ट्रीय कानून है. जान लें कि यूएन चार्टर चैप्टर VII में बताया गया है कि जब किसी देश का व्यवहार या काम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है, तभी संयुक्त राष्ट्र दखल दे सकता है. इससे साफ हो गया है कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राम मंदिर पर रोने के कोई फायदा नहीं है. वह सिर्फ अपने घड़ियाली आंसू बहा रहा है. उसकी बात को कोई भाव मिलने वाला नहीं है.
पहले अपना घर संभाल लो पाकिस्तान
पाकिस्तान को समझना चाहिए कि उनसे अपना घर संभल नहीं रहा और दूसरों पर पत्थर मारने चले हैं. पाकिस्तान की असलियत दुनिया जानती है. कैसे पाकिस्तान अपने ही देश के भीतर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है. वहां खुद ही मुसलमानों के हाल बुरे हैं. फिर भी वो इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भारत में मुस्लिमों को भड़काने की साजिशों में लगा हुआ है. हकीकत ये है कि पाकिस्तान में एक-एक करके हिंदुओं के धार्मिक जगहों को टारगेट करके नष्ट किया जा रहा है. हिंदुओं के साथ आए दिन दरिंदगी की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनी रहती हैं.

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