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केजरीवाल से आप की चुनावी लहर में कितना आया ‘करंट’?

दिल्ली : आम आदमी पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 22 दिन की अंतरिम जमानत पर मुहर लगा दी. लेकिन शर्तों के साथ, केजरीवाल का बाहर आना आम आदमी पार्टी और इंडिया गठबंधन के लिए कितना बड़ा बूस्टर डोज है . कैसे उसको लेकर कांग्रेस स्वागत करने के साथ साथ विरोध में भी खड़ी नजर आ रही है. बेल से एक बड़ा सवाल भी उभरा है कि केजरीवाल का 22 दिन बाहर रहना क्या चुनावों के मद्देनजर इंडिया गठबंधन के लिए 21 साबित होगा.

असल में अरविंद केजरीवाल का जेल से बाहर आना आम आदमी पार्टी से लेकर इंडिया गठबंधन के लिए किसी बूस्टर डोज से कम नहीं है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने से आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान में वो तेजी वो धार नहीं थी. जिसके लिए आम आदमी पार्टी अब जानी जाती है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है.

कार्यकर्ताओं का जोश सातवें आसमान पर
अरविंद केजरीवाल को अंतरिम बेल मिलने के बाद अपने नेता को पचास दिन बाद अपने बीच पाकर आम आदमी पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं का जोश सातवें आसमान पर है. अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 1 जून तक यानि 22 दिन की अंतरिम बेल मिली है. इस दौरान 25 मई को दिल्ली और उसके बाद 1 जून को पंजाब में वोटिंग होनी है. माना जा रहा है कि केजरीवाल के जेल से बाहर आने का सीधा असर दिल्ली और पंजाब की कुल बीस सीटों पर हो सकता है. दिल्ली में जहां 7 सीटें हैं वहीं पंजाब में 13 लोकसभा सीटें हैं.

चुनावी लहर में कितना आया ‘करंट’
इन दोनों जगहों पर आम आदमी पार्टी प्रचार तो कर रही थी, प्रचार की फसल सूखी सूखी सी नजर आ रही थी. लेकिन केजरीवाल की एंट्री से प्रचार की फसल अब लहलहा उठेगी, ये बेल आम आदमी पार्टी से लेकर इंडिया गठबंधन के लिए कितनी बड़ी संजीवनी या बूस्टर माना जा सकता है उसका अंदाजा आप सुनीता केजरीवाल से लेकर कांग्रेस और ममता बनर्जी के बयानों से लगा सकते हैं. सुनीता केजरीवाल ने इसे चुनाव में बड़ी मदद बताया है…तो दूसरी तरफ अंदरखाने तकरार करने वाली कांग्रेस और ममता बनर्जी ने भी इसका खुलकर स्वागत कर रही है.

इंडिया गठबंधन के लिए मायने..
हालांकि केजरीवाल को बेल पर भी कांग्रेस और उसके बीच की दरार साफ दिखी. कांग्रेस नेता ने जिस आधार पर अरविंद केजरीवाल को बेल दी उस पर सवाल उठाये हैं. संदीप दीक्षित का कहना है कि ऐसे तो सब नेताओं को मिलना चाहिए. अरविंद केजरीवाल का जेल से बाहर आना कार्यकर्ताओं के लिए ऑक्सीजन से कम नहीं है और इसका सीधा असर चुनावों में पड़ना तय माना जा रहा है. लेकिन NDA कह रहा है कि चंद दिनों की चांदनी है फिर अंधेरी रात है.

अरविंद केजरीवाल बाहर आ जाएंगे लेकिन उनके लिए चुनौतियां कम नहीं होने वाली हैं..क्योंकि केजरीवाल को सशर्त जमानत मिली है…उस बंधन के बाहर वो नहीं जा पाएंगे…तो दूसरी तरफ कई सारी ऐसी चुनौतियां हैं जो पिछले पचास दिनों में उनके सामने चट्टानी दीवार बनकर खड़ी हैं.
कई सारी चुनौतियां..
– 50 हज़ार के निजी मुचलके पर केजरीवाल को बेल- चुनावी हालात को नज़रअंदाज़ करना सही नहीं होगा- बेल ऑर्डर केस की मेरिट पर अदालत की राय नहीं- जमानत के दौरान CM दफ़्तर नहीं जाएंगे केजरीवाल- किसी फ़ाइल पर दस्तख़त नहीं करेंगे बशर्ते ज़रूरी न हो- केस में अपनी भूमिका को लेकर कोई बयान नहीं देंगे- गवाह से संपर्क नहीं करेंगे, केस की फ़ाइल नहीं छुएंगे

22 दिन की ‘राहत’ में चुनौतियां?
– सुस्त चुनाव प्रचार को धार देना- दिल्ली-पंजाब में जनाधार बढ़ाना- AAP को बड़ी जीत दिलाना- कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाना- भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब देना