भारत में कैसा है क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency )का भविष्य?

नई दिल्ली. एक अनुमान के अनुसार कुल क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency ) निवेशकों में से 10 फीसदी भारतीय हैं. दुनिया में 20 करोड़ लोगों ने क्रिप्टो में निवेश किया है. भले ही अन्य देशों में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई स्पष्ट नियम न हों, लेकिन भारत में अब इसे कानून के दायरे में लाया जा रहा है. क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन अब प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के अधीन आ गया है. क्रिप्टो पर टीडीएस भी सरकार ने लेना शुरू कर दिया है. पीएमएलए के अधीन आने से क्रिप्टो एक्सचेंज और वर्चुअल डिजिटल एस्सेट्स सेवा प्रदाता रिपोर्टिंग एजेंसी बन गए हैं. इनके लिए अब क्रिप्टो निवेशकों का लेखा-जोखा रखना अनिवार्य हो गया है.
जियोटस क्रिप्टो प्लेटफॉर्म के को-फाउंडर और सीईओ विक्रम सुब्बुराज सरकार के इन कदमों को क्रिप्टोकरेंसी बाजार और निवेशकों के लिए एक अच्छी पहल मानते हैं. उनका कहना है कि क्रिप्टो कारोबार के लिए नियम-कानून बनने से क्रिप्टो निवेशकों के हितों की रक्षा तो होगी ही साथ ही पारदर्शिता भी बढ़ेगी. भारत सरकार का सरकार का एक ही संदेश है कि उचित तरीके से क्रिप्टो में निवेश करें और लाभ की घोषणा करें. सुब्बुराज का कहना है क्रिप्टो गेम चेंजर है. इससे निवेश परिदृश्य में आमूल-चूल परिवर्तन आ सकता है.
अर्थव्यवस्था पर गहरा असर
सुब्बुराज का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर क्रिप्टो का गहरा असर है. क्रिप्टो में अपार संभावनाएं हैं. इस डिजिटल एसेसट्स के उदय ने दुनियाभर के निवेशकों को अपनी पूंजी बढ़ाने के समान अवसर उपलब्ध कराएं हैं. भारतीय निवेशक को क्रिप्टो की वही उपलब्धता है, जो एक अमेरिकी इनवेस्टर को है. क्रिप्टोकरेंसी का चलन बढ़ने से भुगतान आसान होगा, सेटलमेंट में तेजी आएगी और एसेट्स के विकेंद्रीकृत स्वामित्व को बढ़ावा मिलेगा. यही कारण है कि आज बहुत से अग्रणी ब्रांड वेब 3.0 एवं क्रिप्टो के परिवेश के विकास एवं विस्तार का हिस्सा बनने की योजना बहुत गंभीरता से बना रहे हैं.
भारत में क्रिप्टो का भविष्य
विक्रम सुब्बुराज भारत में क्रिपटोकरेंसी के भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं. उनका कहना है कि भारत में क्रिप्टो और वेब 3.0 का भविष्य उज्जवल है. देश में क्रिप्टो का विकास उचित नियमों और उनके समय पर क्रियान्वयन प निर्भर करेगा. भारत में इसकी शुरुआत हो चुकी है. वेब 3.0 परिवेश को पारदर्शिता को प्राथमिकता देकर भरोसेमंद तो बना ही सकते हैं, साथ ही इससे धोखाधड़ी की संभावना को भी समाप्त कर सकते हैं. क्रिप्टो को अपनाने के बहुत से फायदे हैं. साथ ही कुछ चनौतियां भी है. क्रिप्टो अस्थिर है. इसमें यह पता लगाना भी मुश्किल है आपका पैसा कहां गया. क्रिप्टो इनवेस्टमेंट और परिचालन के नियमों का अभाव इसके व्यापक उपयोग में बड़ी बाधा हैं. अभी सरकार और समाज में इसे पूरी स्वीकार्यता भी नहीं मिली है. सरकार अगर क्रिप्टो को लेकर स्पष्ट नीतियाँ और कानून बनाए तो क्रिप्टो के लाभ उसकी कमियों के मुकाबले ज्यादा होंगे.
डिजिटल रुपये की भूमिका
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लॉन्च किया गया ई-रुपया या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को सरकार द्वारा वेब 3.0 परिवेश में कदम रखने का साधन माना जा रहा है. सीबीडीसी के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत दिसंबर 2022 में चार शहरों-मुंबई, नई दिल्ली, बैंगलोर और भुवनेश्वर में लगभग 50,000 रिटेल प्रतिभागियों के साथ हो चुकी है. सीबीडीसी यूज़र्स मोबाइल फोन पर प्रतिभागी बैंक के डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-रुपये में लेनदेन कर सकते हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तहत अब तक 8 लाख रु. से ज्यादा का लेनदेन हो चुका है.
भारतीय रिजर्व बैंक का डिजिटल रुपये तक जब सबकी पहुंच हो जाएगी, तो इसके फायदे सही रूप में नजर आएंगे. डिजिटल रुपये से लेन-देन ज्यादा तेज होगा, नकदी पर निर्भरता घट जाएगी, सरकार को रुपये के विनिमय पर नजर रखने में आसानी होगी और मनी लॉन्ड्रिंग रोकना सरल हो जाएगा. सुब्बुराज का मानना है कि डिजिटल रुपया क्रिप्टो का आधार बन जाएगा. निवेशक क्रिप्टो और एनएफटी के लिए डिजिटल रुपये से भुगतान कर सकेंगे. ऑनलाइन गेमिंग में भी ई-रुपये का उपयोग किया जा सकता है. ब्लॉकचेन टेक्नॉलॉजी के उदय के साथ ई-रुपया विकेंद्रीकृत उपयोगों में समाविष्ट किया जाएगा और यह यह वेब 3.0 परिवेश का एक अभिन्न अंग बन जाएगा.