अदम्य साहस की पहिचान बने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक
कौन सोच सकता है कि दाढ़ी बढ़ाए …साधु सा दिखने वाला यह आदमी ..आज संसार का सबसे ताकतवर लोगों में से एक व्यक्ति है
जिसकी बातों को संसार भर के टाई कोट पैंट धारी राष्ट्राध्यक्ष …जिसमें पुतिन ट्रम्प सहित सभी बड़े बड़े देशों के प्रेसिडेंट शामिल हैं..
सांस रोक कर ..G-20 और अन्य मीटिंग में सुनते हैं जिसके केवल .. हाँ .. की प्रतीक्षा …अमेरिका इजरायल जापान फ्रांस ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन जर्मनी रूस सहित सारे नाटो देश कर रहे हैं …
ताकि चीन जैसे शक्तिशाली देश को कोरोना फैलाने की सजा दे सकें
उसे पाषाण युग में पहुंचा सके जिसकी एक हाँ की प्रतीक्षा संसार के सबसे शक्तिशाली युद्दपोत कर रहे हैं
जिसके ग्रीन सिग्नल की प्रतीक्षा संसार भर के सबसे घातक जेट फाइटर के पायलट कर रहे हैं
यह संन्यासी जो प्रतिदिन सारे राजकीय काम काज निपटाने के बाद भी राजसत्ता के इंद्रजाल से
विदेह है
स्वयं राजा जनक की तरह विरक्त रहकर राजसत्ता की माया से निर्लिप्त है
आज यह साधु जनों के साथ उनका रंजन कर रहा है
पंडितों के साथ जजमानी के दान कर रहा है
इस युगपुरुष की लीलाएं कल संसार लिखेगा
और युगों युगों तक सरयू इसकी साक्षी रहेगी
अयोध्या के मंदिरों के शिखर इसके साक्षी रहेंगे
वह आया था.. एक साधु.. एक मलंग..एक फकीर.. एक औघड़…
और फिर से धरती को धर्म और राजनीति का मर्म समझा गया
राम आए तो उन्होंने भी धर्म और राजनीति पर मर्यादा की लकीरें खींची..
अपने कोदंड और तरकश के नुकीले तीरों से..
सेतु बंध बनाकर समझा गए..
धर्म क्या है..
राजनीति क्या है
कृष्ण आए तो वे भी धर्म और राजनीति दोनों के पाठ ..
अपनी मुस्कुराहटों से अपनी मुस्कान से और बांसुरी की तान से
पढ़ा गए..
बांसुरी की तान से धर्म और राजनीति का सुर ताल छंद संवार कर रख दिया
और कुरुक्षेत्र में गीता रच दिया
और अब कलियुग में …
यह औघड़.. यह संन्यासी..
एक नए ही कलेवर में राष्ट्र गीता लिख रहा है
5 अगस्त 2020 को तुमने जो सब अवधपुरी में किया है..
हे नरेंद्र.. हे सुरेंद्र..
तुम्हारी लीलाओं को देखने आकाश में भी देवता जमा हो गए होंगे
मेरा नमन.. तुमको..
मेरा वंदन तुमको..
मेरा अभिनंदन तुमको .
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