पाकिस्तान (पाकिस्तान) में रह गए हिंदुओं के पवित्र मंदिर
बलूचिस्तान :देश के बंटवारे के पहले पाकिस्तान में हिंदू और हिंदू मंदिरों की संख्या बहुत ज्यादा थी. लेकिन मुल्क में बढ़ती कट्टरता के वजह से हिंदुओं का पलायन जारी रहा और प्रशासन ने हिंदू मंदिरों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. फिलहाल पाकिस्तान(पाकिस्तान) में अभी कई गिने चुने मंदिर ही बचे है. आइए जानते हैं मुस्लिम प्रधान देश में हिंदू मंदिरों की स्थिति आज कैसी है
हिंगोल माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है. ये मंदिर हिंगोल नदी और हिंगोल नेशनल पार्क के बीच है. सती माता के मरने के बाद भगवान शिव के तांडव के दौरान इसी जगह पर माता सती का सिर गिर गया था. इसे हिंगलाज माता का मंदिर भी कहा जाता है. मुस्लिम भी इसे हज की तरह देखते हैं.
कटासराज शिव मंदिर पाकिस्तान में स्थित मंदिरों में काफी मशहूर है. ये मंदिर काफी बड़े क्षेत्र में स्थित है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर परिसर में स्थित कुंड सती माता के मरने के बाद भगवान शिव के आंसू से बना था.
पाकिस्तान के सैयदपुर में स्थित राम मंदिर भगवान राम का इकलौता मंदिर है. ये मंदिर 1580 में राजा मन सिंह द्वारा बनाया गया था.
पाकिस्तान में सबसे पुराना हिंदू मंदिर पंचमुखी हनुमान मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1500 साल पहले हुआ था. अभी इस मंदिर की संरचना खराब हो गई है.
गोरखनाथ मंदिर पाकिस्तान के पेशावर में स्थित है. 1947 में बंटवारे के बाद इसे बंद कर दिया गया था. लेकिन साल 2011 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद फिर से खोल दिया गया था.
पाकिस्तान में स्थित वरुण देव मंदिर 1000 साल पुराना है. देश के बंटवारे के बाद इस मंदिर को पाकिस्तान सरकार ने बंद करवा दिया था, लेकिन हिंदू काउंसिल की मांग की वजह से साल 2007 में पुनः इसे खोल दिया गया था.