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यूसीसी ड्राफ्ट के बाद एक्शन में हिमंता सरकार( यूसीसी) 

बहुविवाह पर बैन: असम में बहुविवाह पर बैन लगाने की तैयारी हो रही है. बजट सेशन में हिमंता सरकार प्रतिबंध वाला बिल पेश करेगी. बिल के मसौदे का लॉ डिपार्टमेंट जांच कर रहा है. एक तरफ, बीजेपी शासित उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू( यूसीसी)  करने की तैयारी चल रही है. वहीं, असम में बहुविवाह पर लगाम कसने वाले बिल की चर्चा सुर्खियां बटोर रही है. यहां बहुविवाह के खिलाफ हिमंता सरकार एक्शन में है और उसे गैरकानूनी घोषित करने की तैयारी में है.

बहुविवाह पर लगेगा बैन
बता दें कि हिमंता सरकार विधानसभा के बजट सेशन के दौरान बहुविवाह खत्म करने के लिए एक बिल पेश करेगी. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने खुद इसका ऐलान किया और कहा कि इस बिल के ड्राफ्ट की जांच लॉ डिपार्टमेंट कर रहा है. हम विधानसभा के बजट सेशन के दौरान असम में बहुविवाह को गैरकानूनी घोषित करने के लिए एक बिल तैयार कर रहे हैं.

क्या असम में यूसीसी की है तैयारी?

इसके अलावा हिमंता सरकार असम में यूसीसी लागू करने की संभावनाओं को भी तलाश रही है. सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि हम बिल को पहले समझेंगे और देखेंगे कि क्या हम इसे पूरी तरह से लागू कर सकते हैं. फिर हम उसके अनुसार आगे की ओर बढ़ेंगे.

बहुविवाह पर कब लाया जाएगा बिल?

आपको बता दें कि असम विधानसभा का बजट सेशन 5 फरवरी से शुरू हो रहा है. जिसमें कई अहम बिल पेश हो सकते हैं. इसके अलावा अगले फाइनेंशियल ईयर का बजट 12 फरवरी को पेश किया जाएगा. उत्तराखंड मेंयूसीसी लाने की तैयारी अब बस अपने अंतिम चरण में है. शुक्रवार को ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी ने सीएम पुष्कर धामी को रिपोर्ट तैयार करके दे दी.

उत्तराखंड में भी यूसीसी ड्राफ्ट तैयार

दूसरी तरफ, समान नागरिक संहिता को लागू करने कि दिशा में उत्तराखंड देश का दूसरा राज्य बनने जा रहा है. उत्तराखंड में यूसीसी पर बनी 5 सदस्यों वाली कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. सीएम धामी ने कहा कि ये पहला उदाहरण है कि 10 प्रतिशत लोगों ने प्रदेश के अंदर अपनी राय इस पर रखी है और उनकी राय के आधार पर हम आगे बढ़े हैं. सका विधिक रूप से परीक्षण भी होगा. इसकी स्टडी करेंगे. चर्चा करने और परीक्षण करने के बाद विधानसभा का जो विशेष सत्र आ रहा है, उसमें इसको रखेंगे.

यूसीसी ड्राफ्ट में नियम

– उत्तराखंड में यूसीसी लागू हुआ तो सभी धर्मों में तलाक के लिए एक ही नियम होगा, जो कानूनी प्रक्रिया से जुड़ा होगा.
– तलाक के बाद भरण-पोषण का नियम भी सब पर एक तरीके से लागू होगा.- संतान गोद लेने की प्रक्रिया भी सभी धर्मों के लिए एक जैसी ही होगी.- सभी धर्मों में शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा.- साथ ही पारिवारिक संपत्ति में लड़की को भी समान अधिकार मिलेंगे.- अगर लड़की किसी दूसरे धर्म में शादी करती है तो भी उसके अधिकार कम नहीं होंगे.- सभी धर्मों में एक ही शादी की इजाजत होगी, यानी बहुविवाह प्रथा पूरी तरह गैरकानूनी मानी जाएगी.- साथ ही राज्य में लिव-इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा.

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