हिमंत बिस्वा सरमा ने बांध से उत्पन्न होने वाले खतरों के बारे में बताया (हिमंत बिस्वा)
गोहाटी :असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा (हिमंत बिस्वा) सरमा ने चीन द्वारा तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रस्तावित विश्व के सबसे बड़े बांध के निर्माण को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से असम और आस-पास के क्षेत्रों में नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है। उनका कहना है कि इस बांध से उत्पन्न होने वाले खतरों से न सिर्फ नदी का तल सूख जाएगा, बल्कि पूरी नदी प्रणाली भी कमजोर हो जाएगी।
मुख्यमंत्री सरमा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “ब्रह्मपुत्र नदी का पारिस्थितिकी तंत्र असम के लिए जीवन रेखा की तरह है। इस बांध के निर्माण से नदी के तल में गिरावट आएगी, जिससे जल स्तर घटेगा और इससे जलवायु पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि इस मसले को लेकर केंद्र सरकार को सूचित किया जा चुका है और भारत ने इस पर चीन से बातचीत की है।
खतरों के बारे में चीन को बताया गया
असम के मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने नदी के निचले इलाकों में बांध से उत्पन्न होने वाले खतरों के बारे में चीन को सूचित किया है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने चीन से इस परियोजना के संभावित असर को लेकर आपत्ति जताई है। मुख्यमंत्री ने कहा, “हम पहले ही इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाए हैं, ताकि इससे असम और अन्य क्षेत्रों में होने वाली समस्याओं को रोका जा सके।”
पेमा खांडू ने केंद्र को लिखा पत्र
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी इस मुद्दे को लेकर केंद्र को पत्र लिखा है। खांडू ने अपनी चिट्ठी में कहा कि इस परियोजना से ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह में आंशिक कमी हो सकती है, जिससे अरुणाचल प्रदेश में जलवायु संकट बढ़ सकता है।
क्या है चीन का डैम प्रोजेक्ट?
पिछले हफ्ते चीन ने तिब्बत में यारलुंग जांग्बो नदी (ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम) पर एक विशाल जलविद्युत परियोजना के लिए मंजूरी दी। यह बांध हिमालय की एक विशाल घाटी में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी एक ‘यू-टर्न’ लेकर अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है और फिर बांग्लादेश तक बहती है। यह परियोजना अब तक की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना के रूप में सामने आई है और इससे भारत और बांग्लादेश दोनों में चिंताएं बढ़ गई हैं।