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हिमाचल का शूटर जिसने कॉमनवेल्थ गेम्स में जीते 15 मेडल,( 15 medals )

नई दिल्ली. 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत 28 जुलाई 2022 से इंग्लैंड के शहर बर्मिंघम में होने जा रही है. इस बार भी कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को निशानेबाजी दल से कई मेडल जीतने की उम्मीद है. भारतीय शूटर्स का शुरू से ही कॉमनवेल्थ गेम्स में दबदबा रहा है. निशानेबाजों ने राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए 135 बार पोडियम पर फिनिश करते हुए सबसे अधिक पदक जीते हैं. पिस्टल शूटर जसपाल राणा कॉमनवेल्थ गेम्स में सबसे सफल भारतीय एथलीट हैं, जिन्होंने 15 पदक ( 15 medals ) जीते हैं.

चार कॉमनवेल्थ गेम्स में रहा जसपाल राणा का दबदबा
जसपाल राणा ने सिर्फ 18 साल की उम्र में पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लिया था. 1994 में कोलंबिया में हुए खेलों में डेब्यू करते हुए उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल में सिल्वर मेडल जीता, इसके बाद पेयर इवेंट में भी ब्रॉन्ज जीता. सेंटर फायर पिस्टल के व्यक्तिगत और पेयर इवेंट में भी गोल्ड हासिल किया. पहले ही कॉमनवेल्थ में शिरकर करते हुए उन्होंने चार मेडल जीते.

इसके बाद जसपाल राणा ने 1998 में चार, 2002 में छह और 2006 में एक मेडल जीता है. राणा ने 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में शूटिंग रेंज पर अपना दबदबा बनाए रखा. उनके नाम कॉमनवेल्थ गेम्स में नौ गोल्ड, चार सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल हैं. जसपाल को 1994 में अर्जुन अवॉर्ड और 2021 में पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है. इसके अलावा वह देहरादून में जसपाल राणा इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी के नाम से एक इंस्टिट्यूट भी चलाते हैं.

शूटिंग करियर खत्म होने के बाद राणा ने कोचिंग में हाथ आजमाए. वो टोक्यो ओलंपिक में भी भारतीय निशानेबाजी टीम के साथ कोच के रूप में गए थे. हालांकि, उनका कोचिंग करियर विवादों से भी घिरा रहा है. टोक्यो ओलंपिक में निशानेबाजों के हाथ खाली रहने के बाद कोच के रूप में उनके प्रदर्शन पर सवाल उठे थे. उन्हें भी भारत के खराब प्रदर्शन का जिम्मेदार ठहराया गया था. मनु भाकर ने भी उन पर नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था.

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