यहां औरतों को अगवा करते थे सैनिक(women )

जापान :इतिहास में औरतों के साथ जितनी प्रतारड़नाएं हुई हैं, अगर उसका हिसाब लगाया जाए तो शायद दुनिया से स्याही खत्म हो जाएगी पर उनके द्वारा झेले गए अपमान की सूची नहीं पूरी होगी. दूसरे विश्व युद्ध ने भी इस हद तक औरतों (women ) की प्रताड़ना देखी है कि उसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. जब पूरी दुनिया जंग के मैदान में कूदी हुई थी, तब चीन, कोरिया की महिलाएं, जापानी सैनिकों के सामने इज्जत बचाने की भीख मांग रही थीं. पर जापानी सेना के दरिंदे उन्हें छोड़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे. उन्हें जबरन अगवा करते थे, और हवस मिटाने के लिए अपना स्लेव यानी दासी बना लेते थे. ठीक वैसे ही जैसे आज के वक्त में आईएसआईएस करता है. इन महिलाओं को ‘कंफर्ट वुमेन’के नाम से इतिहास में जाना जाता है.
1932 से 1945 के बीच जापान की इंपीरियल आर्मी हजारों चीनी और कोरियन महिलाओं को अगवा करती थी और उन्हें अपने कंफर्ट स्टेशन (आराम देने वाले केंद्र) ले जाकर बंदी बना लेती थी. इस तरह सैनिक इन महिलाओं को कंफर्ट वुमेन (आराम देने वाली औरतें) बना लेते थे जो असल में उनकी हवस मिटाने के लिए दासी बन जाती थीं. महिलाओं को जानबूझकर देह व्यापार के दलदल में ढकेल दिया जाता था जिससे बच पाना लगभग नामुमकिन था.
6 हफ्तों में 80 हजार महिलाओं को जापानी सेना ने किया था रेप
रिपोर्ट के अनुसार जो महिलाएं कंफर्ट वुमेन बनीं, उनमें से 90 फीसदी की उसी दौरान प्रताड़ना से मौत हो गई इसलिए उनकी कहानी दबकर रह गई. जापान में आर्मी से जुड़े देह व्यापार के केंद्र 1932 के वक्त से थे. पर 1937 और उसके बाद के साल में ये तेजी से बढ़े. उसका कारण था जापान की इंपीरियल आर्मी द्वारा चीन और कोरिया पर कब्जा. हिस्ट्री वेबसाइट के अनुसार 13 दिसंबर 1937 को जापानी सेना ने चीन के शहर नानकिंग पर कब्जा करना शुरू किया और इस दौरान उन्होंने हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया. 6 हफ्तों तक चले इस नरसंघार के दौरान उन्होंने 20 हजार से 80 हजार औरतों का रेप किया.
हर मिनट होता था महिलाओं से रेप!
इस घटना को देखकर जापान के तत्कालीन राजा हीरोहितो ने आदेश दिया कि कंफर्ट स्टेशन बढ़ाए जाएं जिससे जापानी सैनिकों के लिए अलग से देह व्यापार करने वाली महिलाएं उपलब्ध हो सकें और आम औरतों को परेशान ना किया जा सके. पर ऐसा हुआ नहीं. सैनिक अपनी मन मर्जी से किसी भी महिला को सड़क चलते उठा लेते और कंफर्ट स्टेशनों में लाकर छोड़ देते. ये कंफर्ट स्टेशन जानवरों के रहने लायक भी नहीं थे. वहां अमानवीय ढंग से महिलाओं का रेप होता था. उनकी मर्जी के बिना उनसे संबंध बनाए जाते थे. ऐसा सिर्फ एक सैनिक नहीं, हजारों सैनिक एक महिला के साथ करते थे. साल 2013 में ड्यूश वेल से बात करते हुए एक फिलिपीना कंफर्ट वुमन मारिया रोसा हेनसन ने अपने बयान में कहा था कि वो जगह इंसानों के लिए नहीं थी, उनके साथ हर मिनट रेप होता था!
युद्ध खत्म होने के बाद भी नहीं बंद हुए कंफर्ट स्टेशन
विश्व युद्ध खत्म होने के बाद भी ये कंफर्ट स्टेशन बंद नहीं हुए और अमेरिकी अधिकारियों ने इनको चलते रहने का आदेश दिया था. जापान और चीन में मौजूद अमेरिकी सैनिकों ने भी हजारों महिलाओं का इन स्टेशनों में रेप किया. अमेरिका के महान सैनिक और वॉर हीरो डगलस मैकआर्थर ने साल 1946 में इसे पूरी तरह से बंद करवाया था.
जो औरतें इस प्रताड़ना से बच गईं उन्होंने आगे चलकर जापानी सरकार के सामने विरोध किया और माफी मांगने को भी कहा. कई मौकों पर जापानी अधिकारियों ने कंफर्ट स्टेशन होने की बात को सिरे से खारिज भी कर दिया मगर उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमकर आलोचना हुई. 1993 में जापान सरकार ने इस प्रताड़ना को माना पर फिर इसके आगे कोई एक्शन नहीं लिया.