
सुप्रीम कोर्ट (seeking rehabilitation) में शुक्रवार को घाटी में कश्मीरी हिंदुओं और सिखों के पुनर्वास की मांग वाली याचिका पर सुनवाई (seeking rehabilitation) होगी। नदीमर्ग में 23 मार्च 2003 की रात को सेना की वर्दी पहनकर आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इनमें 11 महिलाएं और दो साल का बच्चा भी शामिल था।
हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई 15 सितंबर 2022 को करेगा। यह जनहित याचिका एक NGO की ओर से दायर की गई है। इसमें 1990 में हुए नरसंहार की SIT जांच और घाटी छोड़ चुके पंडितों की जनगणना करवाने की भी मांग की गई है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच इस पर सुनवाई करेगी।
SIT की रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों पर मुकदमा चलाने का निर्देश दिया जाए। इसमें हाल के महीनों में कश्मीर घाटी में मारे गए कश्मीरी पंडितों की हत्या की जांच की भी मांग की गई है। NGO ‘वी द सिटिजन्स’ ने अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा के माध्यम से याचिका दायर की है ।उन लोगों की पहचान कर उनका पुनर्वास किया जाए। इससे पहले साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में 1989-90 में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की जांच की मांग वाली पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
इसमें उन्होंने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से 90 के दशक में केंद्र शासित प्रदेश में हुए नरसंहार के बाद भारत के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले हिंदुओं और सिखों की जनगणना करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। इसमें कहा गया है कि एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए और साल 1989 से 2003 तक जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और सिखों के नरसंहार में शामिल और उनकी सहायता करने वाले और उकसाने वाले अपराधियों की पहचान की जाए।