आधी-अधूरी तैयारियों के बीच खुले सरकारी स्कूल-निजी स्कूलों ने की पूरी तैयारी
पहले दिन निजी व सरकारी स्कूलों दोनों में रहा विद्यार्थियों का टोटा
लखनऊ। सात माह के लम्बे समयान्तराल के बाद कक्षा नौ से कक्षा बारह तक के विद्यालयों को कोविड-19 प्रोटोकाल के साथ खोला गया। जहां एक तरफ निजी विद्यालयों में एसओपी की गाइड लाइन का पूरा पालन होता दिखायी दिया वही अनेक सरकारी स्कूलों में बदइन्तजामी दिखायी दी। परन्तु कुछ सहायता प्राप्त सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों व शिक्षकों ने अपने पास से सैनेटाइजर आदि का भी इंतजाम कर कोविड गाइडलाइन के साथ स्कूल खोले। राजाजीपुरम् स्थित सेंट जोसेफ ने पूरे एसओपी गाइड लाइन का पालन करते हुये बच्चों का स्वागत किया। यहां थर्मल स्क्राीनिंग के साथ हैण्ड सैनिटाइजर और बच्चों द्वारा खुद बनायी सैनिटाइजेशन टनल से गुजारने के बाद ही बच्चों को कक्षाओं में प्रवेश दिया गया। अभिभावकों द्वारा दी गयी सहमति के बाद भी पहले दिन मात्र पचास प्रतिशत छात्र ही उपस्थित हुये। इसी प्रकार राजाजीपुरम् स्थित लखनऊ पब्लिक स्कूल की ए-ब्लाक तथा बी-ब्लाक स्थित शाखा में मेडिकल रूम सहित पूरे इंतजाम थे। ए-ब्लाक में चालीस व बी-ब्लाक में मात्र पचास छा़त्र ही उपस्थित थे। इसी प्रकार देश भारती इण्टर कालेज के प्रबन्धक मनुव्रत बाजपेयी ने बताया कि उनके यहां भी पूरी तरह से कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुये स्कूल का खोला गया। पहले दिन मात्र पैतीस प्रतिशत छात्र उपस्थित हुये। वही राजकुमार एकाडमी और स्वर्णिम पब्लिक स्कूल सहित अन्य कई स्कूलों के प्रबन्धन ने दशहरे के बाद ही विद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा सैनिटाइजर और अन्य व्यवस्थाओं के लिये कोई बजट न दिये जाने के कारण सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने खुद अपने पास व्यवस्था करते हुये स्कूल खोले। योगेश्वर ऋषिकुल इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य डा0 जी0के0 मिश्रा के अनुसार उन्होनें सोशल डिस्टेंसिंग के गोले और हैण्ड सैनिटाइजर का इंतजाम खुद से किया। कोविड के प्रति जागरूकता के प्रचार प्रसार पोस्टर आदि भी खुद से लगवाये। कक्षा नौ से बारह तक मात्र चार छा़त्र ही आये। राजेन्द्र नगर स्थित सोहनलाल इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य बी0एल0 वर्मा के अनुसार पहली पाली में कक्षा नौ के कुल पंजीकृत 32 छात्रों में 03 तथा कक्षा दस के पंजीकृत 35 में कुल 02 ही छात्र उपस्थित थें। एसओपी गाइडलाइन के संबंघ में यहां कोई व्यवस्था सन्तोषजनक नहीं थी। बांसमण्डी स्थित इन्ड्रस्टियल इण्टर कालेज के प्रधानाचार्या डा0 जय प्रकाश वर्मा के अनुसार बजट का अभाव होने के कारण सारी व्यवस्था विद्यालय ने खुद की है। यहां कक्षा नौ में 13 व कक्षा दस में 05 कक्षा ग्यारह में 11 और कक्षा बारह में मात्र बीस छात्र ही पंजीकृत है। पहले दिन मात्र छ: विद्यार्थी ही उपस्थित थें। इसी प्रकार खालसा इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य पारसनाथ वर्मा ने बताया कि कोविड-19 के पूरे पालन करते हुये बच्चों को बुलाया। कक्षा नौ और दस के कुल 76 पंजीकृत बच्चों में से कुल दस ही बच्चें उपस्थित थे। राजेन्द्र नगर स्थित नवयुग कन्या विद्यालय की प्रधानाचार्या डा0 पुष्पलता के अनुसार पूरे विद्यालय को नगर निगम से तीन बार सैनिटाइज कराया गया साथ ही एसओपी की पूरी गाइडलाइन का पालन किया गया है। स्कूल आने में सत्तर प्रतिशत अभिभावकों ने अपनी असहमति दी थी। नवयुग मेें कक्षा नौ में 354 दस में 453 ग्यारह में 546 तथा बारह में 610 छात्रायें पंजीकृत है।निरीक्षण करने गये विभाग के अधिकारी के अनुसार माहपतमऊ काकोरी स्थित मदरसा मेहरबान मॉडल स्कूल की स्थिति काफी दयनीय थी। यहां कोई इंतजाम नहीं दिखायी दिये। इसी प्रकार दुर्गागंज काकोरी स्थित काकोरी शहीद हाई स्कूल, लार्ड बुद्धा पब्लिक स्कूल काकोरी दुर्दशा का शिकार दिखे। राजकीय हाई स्कूल हलुआपुर काकोरी की प्रधानाचार्या किरन सिंह के अनुसार स्कूल बन्द होने के कारण काफी गंदगी थी जिसको दो दिन बाहर से लेबर लगाकर साफ-सफाई करवायी सारी व्यवस्थायें उन्होनें खुद की और बच्चों के लिये स्कूल को खोला। इसी प्रकार राजकीय हाई स्कूल सिरगापुर काकोरी ने भी सरकारी बजट के बजाय अपनी व्यवस्थायें खुद कर मिसाल पेश की। रामप्रसाद बिस्मिल इण्टर कालेज काकोरी तथा सेंट क्लैयर्स स्कूल में भी एसओपी की पूरी गाइडलाइन का पालन होता दिखायी दिया। परन्तु बच्चों की उपस्थिति सभी जगह अभिभावकों की सहमति देने के बाद भी काफी कम रही। वही सभी जगहों पर शिक्षा विभाग के दावों की पोल भी खुलती नजर आयी।