परमात्मा किसी के गर्भ से पैदा नही हुए- – बी0के0 दुर्गावती,महाशिवरात्रि पर्व विशेष पर दिया गया शिव सन्देश

तेजीबाज़ार,जौनपुर-ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंटआबू की उपशाखा रुहठ्ठा की संचालिका बी0के मंजू बहन के नेतृत्व में परमात्मा का सन्देश कार्यक्रआयोजित किया गया जिसमें इस संस्था से जुड़े सभी बी0के0 भाई- बहन व स्थानीय लोग उपस्थित हुए कार्यक्रम में महाशिवरात्रि पर्व के बारे में जानकारी दी गयी और वही लोगों को शिव और शंकर में क्या अंतर है विस्तार पूर्वक बतलाया गया।
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इस मौके पर बी0के0 दुर्गावती बहन ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए महाशिवरात्रि के पावन पर्व के बारे में बताया।इन्होंने कहा कि शिव का अर्थ है कल्याणकारी, परमात्मा का यह नाम इसलिए है कि धर्म ग्लानि के समय जब सभी मनुष्यआत्माएं माया (पांच विकारों) के कारण दुःखी, अशांत, पतित, भ्रष्टाचारी बन जाती है तब उनको पुनः पावन तथा संपूर्ण सुखी बनाने का कल्याणकारी कर्तव्य करते हैं, परमात्मा शिव के इस अवतरण अथवा दिव्य अलौकिक जन्म की पुनीत स्मृति में ही शिवरात्रि अर्थात शिव जयंती का त्योहार मनाया जाता है।परमात्मा अजन्मे हैं जो किसी के गर्भ से पैदा नही हुए है, परमात्मा तो खुद ही सबके माता-पिता है।यह चेतन ज्योति बिंदु है और इनका अपना कोई स्थूल या सूक्ष्म शरीर नही है यह परमात्मा शिव है।यह ब्रह्मा विष्णु तथा शंकर के भी रचयिता अर्थात त्रिमूर्ति है।जब यह भारत विषय विकारों के कारण वेश्यालय बन जाता है तब पतित-पावन परमपिता परमात्मा शिव इस धरा पर सृष्टि में दिव्य जन्म लेते हैं तब अज्ञान अंधकार का तथा विकारों का विनाश हो जाता है।
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सारे कल्प में परमपिता परमात्मा शिव के एक अलौकिक जन्म से थोड़े ही समय में यह सृष्टि वेश्यालय से बदलकर शिवालय बन जाती है और नर को श्री नारायण पद तथा नारी को श्री लक्ष्मी पद की प्राप्ति हो जाती है, इसीलिए शिवरात्रि हीरे तुल्य हैं परमात्मा शिव के जन्म दिन को शिवरात्रि (वर्थ नाइट) कहा जाता है।