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पुलिस (police )की नौकरी छोड़ पाली बकरियां,

नई दिल्‍ली. तमिलनाडु के तंजावुर जिले के कुरुवादिपत्‍ती गांव के सतीश बकरी पालन (Goat Farming) कर आज साल में लाखों रुपये कमा रहे हैं. बकरी पालन के लिए जब उन्‍होंने तमिलनाडु पुलिस (police ) की नौकरी छोड़ी तो गांव वालों और रिश्‍तेदारों ने उनके इस फैसले को सही नहीं माना था. कुछ लोगों ने यहां तक कह दिया कि सतीश का दिमाग खराब है. भला कोई अच्‍छी-भली सरकारी नौकरी छोड़कर बकरी पालन जैसा छोटा काम भी करता है. लेकिन, सतीश ने अपनी मेहनत और लगन से आज सबको गलत साबित कर दिया है. उनका नाम आज तमिलनाडु के सफल पशु पालकों में आता है.

सतीश क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानते हैं. सतीश का कहना है कि परिणाम से ज्यादा प्रक्रिया जरूरी है. इसी सोच के साथ सही प्रक्रिया को अपनाते हुए वो गोल की तरफ बढ़ रहे हैं. तीन एकड़ जमीन में वो खेती करते हैं. बकरियों के साथ ही बकरियों के लिए उगाया चारा बेचकर भी वे अच्‍छी कमाई कर रहे हैं. बकरी पालन से हुई कमाई से ही उन्‍होंने अब अपना फिटनेस सेंटर भी खोल लिया है. इससे उनकी कमाई में इजाफा हो गया है.

छोड़ी पुलिस की नौकरी
सतीश का बचपन से ही पुलिस में भर्ती होने का सपना था. उनका यह सपना पूरा भी हो गया और वे तमिलनाडु पुलिस में 2009 में बतौर कांस्‍टेबल भर्ती हो गए. उनकी पत्‍नी भी पुलिस विभाग में ही कार्यरत हैं. लेकिन, कुछ साल में ही वे इस नौकरी से ऊब गए. उन्‍होंने अपनी पत्‍नी से नौकरी छोड़कर अपना काम शुरू करने की बात कही. पत्‍नी ने उन्‍हें ऐसा करने की इजाजत दे दी. सतीश को पता था कि उनके माता-पिता नौकरी छोड़ने के उनके फैसले से कतई खुश नहीं होंगे. इसलिए वे जब गांव गए तो उन्‍होंने अपने माता-पिता से झूठ बोला कि वे लंबी छुट्टी लेकर आए हैं.

150 बकरियों से की शुरुआत
सतीश ने अपने तीन एकड़ के खेत में ही बकरी पालना शुरू किया. उन्‍होंने 150 बकरियों के साथ काम शुरू किया. तीन एकड़ खेत में से दो एकड़ में वे बकरियों के लिए चारा उगाते हैं. 1 एकड़ में चावल लगाते हैं. उनके पास अपनी जरूरत से ज्‍यादा चारा पैदा होता है. फालतू चारे को दूसरे बकरी पालकों को बेचकर वे अच्‍छा पैसा कमाते हैं. बकरियों की सही देखभाल, सही चारा प्रबंधन और नए मार्केट खोजकर आज सतीश महीने में 1 लाख रुपये से ज्‍यादा कमा रहे हैं.

ऐसा है रूटीन
सतीश अब तंजावुर के सबसे बड़े फिटनेस सेंटर पावर स्मैक के भी मालिक हैं. वो सुबह 5 बजे जिम के लिए निकल जाते हैं. अपने जिम से सीधा खेत जाते हैं और पूरा दिन वहीं बिताते हैं. सतीश कहते हैं कि उन्होंने हर रोज पूरी मेहनत और लगन से काम किया है. साल 2027 तक वो अपने हर उस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे, जिसके बारे उन्‍होंने कुछ साल पहले सोचा था.

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