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जम्मू-कश्मीर में अपना सियासी मैदान तलाश रहे गुलाम नबी आजाद

जम्मू/श्रीनगर । दिल्ली (find the ground) में राजनीति की एक लंबी पारी खेलने के बाद कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद अब फिर से जम्मू-कश्मीर में अपना सियासी मैदान तलाश (find the ground) रहे हैं।आजाद ने घाटी में अब तक तीन बार चुनाव लड़ा है, इसमें से केवल एक ही बार जीत दर्ज कर पाए। वो भी तब जब वे मुख्यमंत्री थे।

4 सितंबर को आजाद अपनी नई पार्टी के गठन की घोषणा कर सकते हैं। हालांकि, अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आजाद घाटी से चुनावी मैदान में उतरेंगे या ‘किंग मेकर’ की भूमिका में रहेंगे। कांग्रेस ने यहां 86 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, इनमें से केवल 12 पर जीत हासिल की थी और 47 पर जमानत जब्त हो गई थी।

नतीजतन, कांग्रेस कश्मीर में चौथे नंबर की पार्टी रही। कांग्रेस पार्टी को 8,67,883 वोट मिले थे। जो कि कुल मतों का 18.01% है। आजाद ने 1977 में पहला चुनाव इंदरवाल विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था। इसमें उन्हें महज 959 वोट मिले थे और वह हार गए थे। घाटी में आजाद के समर्थन में इस्तीफों की झड़ी लग गई। जिन नेताओं ने इस्तीफा दिया है उनका 2014 के चुनाव में कुल वोट शेयर मात्र 4.5% ही रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में आजाद भाजपा के डॉ. जितेंद्र सिंह से 60,000 से ज्यादा वोटों से हारे थे।

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