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घोल मछली बनी गुजरात की स्टेट फिश(घोल मछली)

नई दिल्‍ली. अहमदाबाद में दो दिवसीय ग्‍लोबल फिशरीज कॉन्‍फ्रेंस इंडिया 2023 के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने घोल मछली  (घोल मछली) को गुजरात की राज्य मछली का दर्जा दे दिया है. इस कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग उपस्थित थे. घोल मछली भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी मछली में से एक है. यह मछली गुजरात और महाराष्ट्र के समुद्री इलाकों में सुनहरे-भूरे रंग में पाई जाती है.

इस मछली को काफी मूल्यवान माना जाता है. इसके मांस की मांग बेहद अधिक है. घोल मछली का उपयोग बीयर और वाइन बनाने के लिए भी किया जाता है. मछली के एयर ब्लैडर का उपयोग फार्मास्यूटिकल्स (दवाई बनाने) में किया जाता है. घोल मछली का मांस और एयर ब्लैडर अलग-अलग बेचा जाता है. एयर ब्लैडर मुंबई से निर्यात किया जाता है. दुनिया भर में इस मछली की काफी अधिक डिमांड है, जिसे भारत पूरा करता है.

कितनी है इसकी कीमत?
घोल मछली की लंबाई लगभग डेढ़ मीटर होती है. यह जितनी लंबी होगी, उसकी कीमत उतनी ही अधिक होगी. प्रति यूनिट लंबाई वाली घोल मछली की कीमत 5 लाख रुपये तक हो सकती है. इतनी बड़ी रकम से कोई व्‍यक्ति यूरोप का ट्रिप कर सकता है. जो मछुआरे घोल मछली पकड़ने में सक्षम हैं, वे सालाना लाखों कमा सकते हैं. घोल मछली सुनहरे-भूरे रंग की होती है. इसका वैज्ञानिक नाम प्रोटोनिबिया डायकैंथस है. इसे ब्लैकस्पॉटेड क्रॉकर भी कहा जाता है. इतना ही नहीं कुछ लोग इसे गोल्ड फिश और सोने के दिल वाली मछली के रूप में भी जानते हैं.

किन राज्‍यों में मिला स्‍टेट फिश का दर्जा?
दो दिवसीय ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस इंडिया 2023 के दौरान केंद्रीय मंत्री परसोत्तम रूपाला ने कहा कि कुछ समय पहले, मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के माध्यम से महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने भी अपने-अपने राज्य की इस मछली को स्‍टेट फिश घोषित किया था

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