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गडकरी ने गुणात्मक सुधारों के लिए सभी के सहयोग पर जोर दिया

नयी दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुणात्मक सुधारों के लिए सभी हितधारकों के बीच सहयोग पर जोर दिया है। गडकरी ने परिवहन क्षेत्र में भविष्य केकार्यसंबंधी नए विचारों के लेकर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘मंथन-आइडिया टू एक्शनÓ का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा,  हमें मतभेदों को दूर करना चाहिए और हमारी सोच भी अलग-अलग नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों को एक-दूसरे के मुद्दों को समझना चाहिए और आपसी सहमति से भविष्य की नीतियों की योजना बनाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि हमारे देश के वाहनों को चलाने के लिए भारत में बने ईंधन का ही इस्तेमाल हो। मंत्री ने भारत को अग्रणी विकसित देश बनाने के लिए नई वस्तुओं के निर्माण के लिए गुणात्मक योगदान और दूरदृष्टि पर जोर दिया।

श्री गडकरी ने भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए बहु-मॉडल परिवहन के साथ एक एकीकृत दृष्टिकोण का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत यात्री यातायात और 70 प्रतिशत माल यातायात सड़कों का उपयोग करता है। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसा एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है जिसमें जलमार्ग, रेलवे और हवाई अड्डे आपस में जुड़े हुए हों और इसमें रसद पार्क एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकारें भूमि उपलब्ध कराती हैं, तो सड़क परिवहन मंत्रालय इन लॉजिस्टिक्स पार्कों के निर्माण की सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि निर्माण लागत को कम करना होगा जबकि निर्माण की गुणवत्ता में काफी सुधार करना होगा। श्री गडकरी ने कहा कि भारत में कारोबार की लागतों में लाजिस्टिक्स पर खर्च को औसतन 16 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यक है। चीन में यह अनुपात 10 प्रतिशत और यूरोप में 12 प्रतिशत पर है।

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श्री गडकरी ने कहा कि मंत्रालय, पर्यावरण और वन मंत्रालय के साथ, एक ‘ट्री बैंकÓ परियोजना लेकर आया है, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) राजमार्गों के किनारे पेड़ लगाएगा, इस प्रकार हरित कवरेज का विस्तार होगा। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने 80 लाख से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने वाले पेड़ खरीदे हैं, और इनसे पर्यावरण को बचाए रखने में मदद मिलेगी। इसके परिणामस्वरूप, हरित कवरेज में भारत की रैंकिंग पहले ही ऊपर जा चुकी है।

राज्यों और केंद्र के बीच सहयोग का आह्वान करते हुए, उन्होंने कहा कि केवल छह राज्यों ने 16,000 करोड़ रुपये की सुदूर संचालित वाहन परियोजना के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। राज्यों को इसका स्वामित्व लेने के लिए आगे आने की आवश्यकता है क्योंकि इससे अंतत: उन्हें ही लाभ होगा।

कार्यक्रम में सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी. के. सिंह ने सड़क परिवहन क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति का जिक्र करते हुए कहा, ‘यह अंत नहीं हैÓ। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग जहां 2008 में 91,000 किलोमीटर थे वहीं अब बढ़कर 1,41,000 किलोमीटर हो गए हैं और निर्माण की गति 12 किमी प्रति दिन से बढ़कर अब 37 किमी हो गई है, इसके लिए श्रेय डिजाइन क्षमताओं में वृद्धि और आधुनिक उपकरणों के उपयोग को जाता है । परिवहन क्षेत्र के विकास में राज्य सरकारों की एक बड़ी हिस्सेदारी है और उनके सहयोग से भारत विकसित देशों से आगे निकल सकता है।

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