अंतराष्ट्रीय

अमेरिका से रूस और पाकिस्तान से भारत तक इलेक्शन ईयर  ( इलेक्शन ईयर)

2024 चुनाव: साल 2024 को अगर चुनावों का साल  ( इलेक्शन ईयर) कहें तो गलत नहीं होगा. भारत से लेकर पाकिस्तान औऱ अमेरिका और रूस तक चुनाव होने हैं. पहले बात करते हैं अमेरिका की. अमेरिका में अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. इसके लिए नेताओं की मुहिम जारी है.अमेरिका में हुए ताजा सर्वे में पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बाइडेन पर बढ़त बना ली है और ये बढ़त एक जगह नहीं है बल्कि कई जगहों पर ट्रंप का जलवा दोबारा उभरा है.तो क्या अबकी बार अमेरिका में बाइडेन नहीं ट्रंप सरकार आने वाली है?
2024 होगा चुनावों का साल
वहीं रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होंगे.अपनी पार्टी की बजाए निर्दलीय चुनाव लड़ने के पीछे पुतिन की आखिर क्या वजह है? साथ ही पाकिस्तान में चुनाव तारीख का ऐलान कर दिया गया है. लेकिन अभी भी पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर सस्पेंस बना हुआ है. कि आखिर इमरान चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं. इमरान के चुनाव लड़ने या ना लड़ने पर किसे फायदा या नुकसान होगा?
भारत की तरह अमेरिका में भी अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने हैं.लेकिन चुनाव से ठीक पहले अमेरिका से एक चौंकाने वाला सर्वे सामने आया है, जिसमें डॉनल्ड ड्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर बढ़त बनाते दिखाई दे रहे हैं.
बाइडेन से आगे निकलते दिखे ट्रंप
सर्वे में पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप कई राज्यों में राष्ट्रपति जो बाइडेन से आगे निकलते दिख रहे हैं. इन राज्यों में बाइडेन के मुकाबले ट्रंप लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. गौर करने वाली बात ये कि जिन राज्यों में ट्रंप को बढ़त की बात कही जा रही है. 2020 के चुनाव में उन जगहों पर ट्रंप को करारी हार का सामना करना पड़ा था. सर्वे के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, एरिजोना, विस्कॉन्सिन और पेंसिल्वेनिया में लोगों की पहली पसंद बने हैं.

इन सर्वे से माना जा रहा है कि यहां के लोग जो बाइडेन से ज्यादा खुश नहीं हैं. सर्वे के मुताबिक जॉर्जिया में ट्रंप को बाइडेन से 5 फीसदी अधिक वोटों का अनुमान लगाया जा रहा है. जॉर्जिया में बाइडेन ने 2020 में लगभग 12 हजार वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं मिशिगन में ट्रंप को 10 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद है. 2020 के चुनाव में बाइडेन ने मिशिगन में 1 लाख 55 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. ऐसे में ये सर्वे बाइडेन के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं.
बाइडेन की नीतियों से नाराज
ऐसा माना जा रहा है कि जॉर्जिया और मिशिगन समेत अमेरिका में लोग बाइडेन की नीतियों से खासे नाराज हैं. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के स्विंग स्टेट्स में हुए सर्वे से संकेत मिल रहे हैं कि राष्ट्रपति बाइडेन ट्रंप से पिछड़ते दिख रहे हैं. ये जानना जरूरी है कि आखिर स्विंग स्टेट क्या हैं और अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में ये किस तरह से बड़ा असर डाल सकते हैं. अमेरिका के कुछ राज्यों को स्विंग स्टेट्स कहा जाता है.

जैसा कि नाम है स्विंग यानि घूमने वाला. नाम से ही जाहिर होता है कि ऐसे राज्य जहां वोटर्स के मूड बदलने की संभावना होती है, वे राज्य स्विंग स्टेट्स कहलाते हैं. हर चुनाव में स्विंग स्टेट्स बदलते रहे हैं. जैसे आगामी चुनाव में जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, एरिजोना स्विंग स्टेट्स साबित हो सकते हैं. स्विंग स्टेट्स को बैटल ग्राउंड या पर्पल स्टेट्स भी कहा जाता है.
निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे पुतिन
सुपरपावर अमेरिका के बाद अब बात रूस की. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2 दशक से ज्यादा रूस की सत्ता पर काबिज हैं और एक बार फिर वो राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. इसके लिए पुतिन ने पूरी ताकत झोंक दी है. रूस में चुनाव कानून के मुताबिक व्लादिमीर पुतिन लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते.रूस में नियम है कि कोई भी नागरिक किसी राजनीतिक पार्टी के टिकट पर तीन बार राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकता है. लेकिन इसके लिए उन्होंने एक और रास्ता खोज निकाला है.

इस बार पुतिन किसी पार्टी से चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे.रिपोर्ट्स के मुताबिक पुतिन अब अगले साल होने वाला चुनाव निर्दलीय लड़ेंगे. यानि पुतिन खुद अपनी ही पार्टी यानी यूनाइटेड रशिया पार्टी के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे. पुतिन मार्च 2024 में एक बार फिर अगले 6 साल के कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति का चुनाव लड़ेंगे और उम्मीद है कि आसानी से जीत भी हासिल कर लेंगे. पुतिन के समर्थकों ने उन्हें औपचारिक रूप से 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार नामांकित किया है.
3 लाख लोगों का हस्ताक्षर जरूरी
रूस के चुनाव कानून के अनुसार, पार्टी के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ने वालों के पास कम से कम 500 समर्थकों के एक समूह से नामांकन अनिवार्य है. निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए अपने समर्थन में कम से कम 3 लाख लोगों के हस्ताक्षर जुटाना भी जरूरी है. पुतिन को नामांकित करने वालों में खुद उनकी पार्टी यूनाइटेड रशिया पार्टी के शीर्ष अधिकारी, रूस के कई अभिनेता और गायक के साथ साथ एथलीट और दूसरी हस्तियां शामिल हैं.

यानी पुतिन ने निर्दलीय उम्मीदवार के लिए जरूरी शर्तों को पूरा कर लिया है.. इसके बाद ही उनकी उम्मीदवारी का ऐलान किया गया है. व्लादिमीर पुतिन साल 2012 से ही रूस के राष्ट्रपति बने हुए हैं. रूस में राष्ट्रपति का एक कार्यकाल 6 वर्षों के लिए होता है. 2012 में पुतिन राष्ट्रपति बने. इसके बाद 2018 में दोबारा 76 फीसदी मतों के साथ वो फिर राष्ट्रपति चुने गए. अब उनका कार्यकाल 2024 में खत्म हो रहा है. इससे पहले वो 2 बार रूस के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं. रूस में कोई व्यक्ति लगातार तीन बार राष्ट्रपति नहीं बन सकता. इसलिए पुतिन तीसरी बार निर्दलीय राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाह रहे हैं.
पाकिस्तान में चुनावी लड़ाई
रूस के बाद अब बात करते हैं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की. हालांकि पाकिस्तान में चुनाव के कोई मायने तो नहीं हैं लेकिन वहां भी चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. 8 फरवरी को पाकिस्तान में चुनाव होंगे. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रमों का ऐलान किया है.

इसके तहत 3 दिन बाद यानी 20 दिसंबर को नामांकन प्रक्रिया भी शुरू होगी, जो 22 दिसंबर तक चलेगी. इसका मतलब 22 दिसंबर को तय हो जाएगा कि कौन-कौन से नेता पाकिस्तान के चुनावी अखाड़े में उतर रहे हैं. पाकिस्तान में चुनाव आयोग 23 दिसंबर को उम्मीदवारों के नाम भी सार्वजनिक कर देगा. इसलिए सभी सियासी दल उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने की तैयारियों में जुट गए हैं. नवाज शरीफ और उनके भाई शहबाज शरीफ भी चुनावी मैदान में उतरेंगे. लेकिन जिस नाम को लेकर सस्पेंस बना हुआ है वो है पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का.
क्या इमरान होंगे बोल्ड?
क्या पाकिस्तान का ये पूर्व कप्तान चुनावी मैदान में बिना हाथ में बल्ला थामे ही बोल्ड हो जाएगा? या फिर कोर्ट के जरिए चुनाव में उतरने का मौका मिल सकता है? इमरान के समर्थक मानते हैं कि पाकिस्तान में इमरान खान ही ऐसे नेता हैं जो नवाज शरीफ को हराने का दमखम रखते हैं. लेकिन इसमें सबसे बड़ा रोड़ा है इस बार इमरान के चुनावी पिच पर उतरने का क्योंकि इमरान खान अभी सयायाफ्ता कैदी के तौर पर पाकिस्तान की जेल में हैं, सजा काट रहे हैं.

पाकिस्तान चुनाव आयोग यानी ECP ने इसी साल 8 अगस्त को चुनाव लड़ने के लिए इमरान को अयोग्य ठहरा दिया था. इमरान के ऊपर 5 साल का बैन लगा दिया गया था. इमरान खान तोशाखाना केस में दोषी पाए गए थे. उन पर प्रधानमंत्री पद पर रहने के दौरान लिए गए महंगे उपहार बेचने का आरोप है. इमरान खान अभी रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद हैं.

इमरान लगा रहे हर जुगत

हालांकि इमरान खान की पूरी कोशिश चुनाव लड़ने की है. इमरान हर वो चाल चलने की जुगत भिड़ा रहे हैं जिससे उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत मिल जाए. इसके लिए इमरान ने लाहौर हाईकोर्ट में अयोग्यता वाले फैसले को चुनौती दी है. इस मामले में हाईकोर्ट ने पाकिस्तान के चुनाव निकाय को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट सुनवाई से पहले इस पर फैसला करेगा कि इमरान खान की याचिका सुनवाई योग्य है भी या नहीं. इमरान खान की सारी उम्मीदें अब लाहौर हाईकोर्ट से हैं. यानि इमरान की किस्मत अब लाहौर हाईकोर्ट के पिटारे में बंद है.

इमरान खान की मुश्किलें यहीं पर खत्म नहीं होतीं. एक तो इमरान खान खुद जेल में बंद हैं. दूसरी तरफ उनकी पार्टी भी संभल नहीं पा रही है. एक के बाद एक नेता इमरान का साथ छोड़ रहे हैं. पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले इमरान को बड़ा झटका लगा है..उनकी पार्टी PTI के बड़े नेता हुमायूं अख्तर खान ने भी पार्टी छोड़ दी है. अख्तर ने IPP का दामन थाम लिया है.

 

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