26 जनवरी पर छठी बार.
दिल्ली: अभी सितंबर में ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जी20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली आए थे. आज वह एक बार फिर दो दिन के दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं. मैक्रों 26 जनवरी (26 जनवरी) को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित होने वाले 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हैं. खास बात यह है कि वह इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले फ्रांस के छठे नेता हैं. यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है. ऐसे में आपके मन में सवाल उठ सकता है कि फ्रांस हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? साथ ही चीफ गेस्ट कैसे चुने जाते हैं? आइए समझते हैं.
पहले जान लीजिए कि मैक्रों दिल्ली आने से पहले गुलाबी शहर जयपुर उतरेंगे. फ्रांस के राष्ट्रपति का विशेष विमान दोपहर ढाई बजे जयपुर एयरपोर्ट पर उतरेगा. प्रधानमंत्री शाम करीब साढ़े पांच बजे मैक्रों का स्वागत करेंगे. दोनों नेता एक रोड शो भी करने वाले हैं. मैक्रों प्रसिद्ध आमेर किला, हवा महल और खगोलीय वेधशाला ‘जंतर मंतर’ घूमेंगे. रात आठ बजकर 50 मिनट पर फ्रांस के राष्ट्रपति दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे. आइए, अब बात दिल्ली परेड की करते हैं.
चीफ गेस्ट होने के मायने
भारत में रिपब्लिक डे इवेंट में चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाए जाने का मतलब प्रोटोकॉल के लिहाज से उस देश के नेता को विशेष सम्मान दिया जाना है. यहां भारत की ताकत और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन होता है. राष्ट्रपति भवन में गेस्ट को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है और शाम में उनके सम्मान में विशेष भोज का आयोजन होता है.
एक अधिकारी बताते हैं कि चीफ गेस्ट बनाकर बुलाने का मतलब वह भारत की खुशी और गर्व के उत्सव में शामिल हो रहे हैं. यह भारत के राष्ट्रपति और चीफ गेस्ट के साथ-साथ दोनों देशों की पक्की मित्रता को दिखाता है. इसे एक तरह का पावरफुल टूल कह सकते हैं जिससे भारत आमंत्रित देश के नेता के साथ अपने राजनीतिक और राजनयिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाता है.
गेस्ट चुने कैसे जाते हैं?
आपको जानकर शायद आश्चर्य हो कि यह प्रक्रिया करीब 6 महीने पहले ही शुरू हो जाती है. राजदूत रहे पूर्व IFS अधिकारी मनबीर सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया कि न्योता देने से पहले विदेश मंत्रालय हर पहलू को ध्यान में रखता है. सबसे खास बात भारत और उस देश के संबंधों की प्रकृति समझी जाती है. इस फैसले में राजनीतिक, वाणिज्यिक, सैन्य और आर्थिक हितों को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है. भारत के विदेश मंत्रालय की पूरी कोशिश होती है कि इस अवसर के जरिए संबंधित देश के साथ संबंधों को हर तरह से मजबूत किया जाए.
MEA के प्लान पर पीएम और राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाती है. इसके बाद भारतीय राजदूत संबंधित देश के नेता को चीफ गेस्ट का न्योता देने से पहले उनकी उपलब्धता को समझते हैं. यह जरूरी होता है जिससे चीफ गेस्ट उस समय पर भारत आ सकें. इस वजह से MEA केवल एक विकल्प नहीं रखता है, ऐसे कई संभावित नाम लिस्ट में रखे जाते हैं. आधिकारिक बातचीत होने के बाद विदेश मंत्रालय इस दौरान होने वाली सार्थक चर्चा और समझौतों पर काम करता है. वीआईपी के आने में देरी, अचानक बीमार होने या बारिश आने जैसे स्थिति के लिए पहले से तैयारी रखी जाती है.
सबसे बड़ी बात
भारत को पता होता है कि चीफ गेस्ट के साथ उनका मीडिया भी आया है और वह अपने देश में यहां की लाइव फीड भेज रहा है. ऐसे में उनके दौरे को ऐतिहासिक बनाने की पूरी कोशिश होती है. इससे न सिर्फ विदेश के लोग भारत के बारे में जानते समझते हैं बल्कि अपने नेता का सम्मान देख गर्व करते हैं. इससे द्विपक्षीय संबंध मजबूत होते हैं. भारत की छवि भी बढ़ती है. भारत का आतिथ्य हमारी परंपरा, संस्कृति और इतिहास को दर्शाता रहा है.
मैक्रों जब शुक्रवार को मुख्य अतिथि के तौर पर गणतंत्र दिवस समारोह में बैठे होंगे, उस समय परेड में फ्रांस का 95-सदस्यीय मार्चिंग दस्ता और 33-सदस्यीय बैंड दस्ता भी वहां से गुजरेगा. फ्रांस की एयरफोर्स के दो राफेल लड़ाकू विमान और एक एयरबस ए330 मल्टी-रोल टैंकर परिवहन विमान भी दिखेंगे.
नेहरू के दौर में
1950 के दशक में नेहरू के समय से ही गेस्ट की परंपरा चली आ रही है. हालांकि तब गुट निरपेक्ष नेताओं को बुलाया जाता था जिससे कोल्ड वॉर की गुटबाजी से दूर रहते हुए एक दूसरे देश को सशक्त बनाने में सहयोग किया जा सके. 1950 में परेड के पहले चीफ गेस्ट इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे.
फ्रांस की अहमियत
हां, यह सवाल जरूर लोगों के मन में होगा. दरअसल, मोदी सरकार के समय में रक्षा क्षेत्र पर विशेष फोकस किया गया है. राफेल जैसे फाइटर जेट फ्रांस से ही आएं हैं जिसने भारतीय फौज की ताकत में जबर्दस्त इजाफा किया है.
आज मैक्रों के साथ पीएम मोदी डिजिटल क्षेत्र, रक्षा, व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा और भारतीय छात्रों के लिए वीजा नियमों को आसान बनाने सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने वाले हैं. जाहिर है ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा. जो भी मसले उस देश से संबंधित है उसे इस दौरान सामने रखा जाता है.
माना जा रहा है कि फ्रांस से 26 राफेल-एम (समुद्री वर्जन) लड़ाकू विमान और तीन स्कार्पीन पनडुब्बियों की खरीद के भारतीय प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी. पता चला है कि राफेल-एम जेट और तीन स्कार्पीन पनडुब्बियों की खरीद पर बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है.
माना जा रहा है कि मोदी और मैक्रों हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग बढ़ाने, लाल सागर में हालात, हमास-इजराइल संघर्ष और यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी पिछले साल 14 जुलाई को पेरिस में आयोजित ‘बैस्टिल’ दिवस परेड में विशेष अतिथि थे.
मैकों के देश में
फ्रांस के राष्ट्रपति ऐसे समय में भारत आ रहे हैं जब उनके देश में किसानों का आंदोलन चल रहा है. कम भत्ते, बढ़ती लागत आदि को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर सड़कें जाम की हैं. वहां सरकार की कृषि नीतियों का विरोध हो रहा है.