Food Security : गर्मी से गेहूं के उत्पादन में कमी दर्ज, जाने अब क्या होगा…
नई दिल्ली। Food Security : गर्मी से गेहूं के उत्पादन में कमी दर्ज, जाने अब क्या होगा… जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ती गर्मी से गेहूं के उत्पादन में कमी दर्ज की जा रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक बढ़ती गर्मी और पानी की कमी के चलते आने वाले समय में पूरी दुनिया के सामने खाद्य सुरक्षा को लेकर बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। भारत में गेहूं का सबसे अधिक उत्पादन इंडो गैंगेटिक प्लेन (गंगा के तराई वाले इलाके) में होता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि बढ़ती गर्मी और पानी की कमी के चलते गेहूं की पैदावार में काफी कमी दर्ज की गई है। भारत-गंगा का मैदान भारत और दुनिया में मुख्य गेहूं-उत्पादन क्षेत्रों में से एक है।
Food Security : जलवायु परिवर्तन के चलते रोटी की भी बढ़ेगी कीमत
नार्वे, भारत, चीन और यूके के वैज्ञानिकों ने मिल कर बढ़ती गर्मी और क्लाइमेट चेंज के चलते इस इलाके में गेहूं के उत्पादन पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि जलवायु परिवर्तन के साथ, इस क्षेत्र में तापमान और वर्षा में परिवर्तन और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता में कमी के चलते आने वाले दिनों में गेहूं की पैदावार में काफी कमी आ सकती है। ये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए बड़ी चिंता का विषय है।
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वैज्ञानिकों ने गंगा के मैदानी इलाके वाले राज्यों में चार स्थानों पर गेहूं की पैदावार पर जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष (तापमान और वर्षा में परिवर्तन के कारण) और अप्रत्यक्ष (सिंचाई उपलब्धता में कमी के कारण) प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक क्षेत्रीय जलवायु माडल और एक फसल माडल का अध्ययन किया। इन राज्यों में प्रमुख रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार शामिल रहे। वैज्ञानिकों ने पाया कि औसत तापमान में बढ़ोतरी, वर्षा के साथ-साथ बदलते मौसम या रबी मौसम (नवंबर-अप्रैल) के दौरान अधिकतम तापमान में वृद्धि का सीधा असर फसल पर पड़ता है।
Food Security : गेहूं उत्पादन पर दिखने लगा असर
जांच में पाया गया कि जिन चार जगहों के आधार पर अध्ययन किया गया वहां तापमान बढ़ने पर पैदावार में 1 प्रतिशत से 8 प्रतिशत तक गेहूं के उत्पादन में कमी आई। वैज्ञानिकों ने पाया कि जलवायु परिवर्तन के अप्रत्यक्ष प्रभाव जैसे की पानी की उपलब्धता कम होने से सिंचाई में कमी के चलते उत्पादन में 4 प्रतिशत से 36 प्रतिशत तक तक की कमी आई है। इससे पता चलता है कि गंगा के किनारे के मैदानी इलाकों में जलवायु परिवर्तन के चलते उत्पादन में काफी कमी आ सकती है।
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केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी किए गए खाद्य उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान से पता चलता है इस साल गेहूं का उत्पादन लगभग 3 प्रतिशत घटकर 106 मिलियन टन हो जाएगा। देश में गेहूं उत्पादन में 2014-15 के बाद पहली गिरावट देखी जाएगी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा कि पिछले साल के 109.59 मिलियन टन के उत्पादन की तुलना में इस साल भारत का गेहूं उत्पादन तीन प्रतिशत गिरकर 106.41 मिलियन टन होने की संभावना है। साल 2020-21 में गेहूं का उत्पादन रिकार्ड 109 मिलियन टन हुआ था।