पहली हिंदू महिला डीएसपी ने बताया अपना नया मकसद – Manisha Ropeta
सभी बाधाओं को पार करते हुए पाकिस्तान की मनीषा रोपेटा ने पहली हिंदू महिला पुलिस उप अधीक्षक बनकर अपने रिश्तेदारों को गलत साबित किया है। इसके साथ ही अब वह महिला रक्षक बनने, पितृसत्तात्मक समाज में लैंगिक समानता और नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं। सिंध प्रांत के जैकबाबाद की रहने वाली 26 वर्षीय मनीषा रोपेटा का मानना है कि पुरुष प्रधान पाकिस्तान में महिलाओं को कई अपराधों का निशाना बनाया जाता है और वे (महिलाएं) सबसे ज्यादा उत्पीड़ित लोग हैं।
लोकसेवा आयोग की परीक्षा में मिला 16वां स्थान
रोपेटा ने पिछले साल सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की थी। वह 152 सफल उम्मीदवारों की मेरिट सूची में 16वें स्थान पर रहीं। अभी वह प्रशिक्षण ले रही हैं और इसके बाद उन्हें ल्यारी के अपराध प्रभावित क्षेत्र में डीएसपी के रूप में तैनात किया जाएगा।रोपेटा ने कहा, मैंने और मेरी बहनों ने बचपन से ही पितृसत्ता की पुरानी व्यवस्था देखी है जहां लड़कियों से कहा जाता है कि अगर वे शिक्षित होकर काम करना चाहती हैं तो वह केवल टीचर या डॉक्टर के रूप में ही हो सकती हैं।एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली रोपेटा कहती हैं कि वह इस धारणा को खत्म करना चाहती हैं कि अच्छे परिवारों की लड़कियों को पुलिस सेवा में शामिल होने या जिला अदालतों में काम करने से बचना चाहिए।
समाज को एक महिला पुलिस रक्षक की जरूरत : मनीषा
रोपेटा कहती हैं, “महिलाएं सबसे अधिक उत्पीड़ित हैं और हमारे समाज में कई अपराधों का निशाना हैं। मैं पुलिस में इसलिए शामिल हुई क्योंकि मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में एक महिला रक्षक की जरूरत है।” महिलाओं के खिलाफ शारीरिक और यौन हिंसा, ऑनर किलिंग और जबरन विवाह के मामलों के चलते पाकिस्तान को महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खराब देशों में से एक माना जाता है। वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के ग्लोबल जेंटर इंडेक्स ने कुछ साल पहले पाकिस्तान को नीचे से तीसरे स्थान पर रखा था। पाकिस्तान 153 देशों 151वें स्थान पर था।
पाकिस्तान में घरेलू हिंसा की शिकार हुईं 70 फीसदी महिलाएं
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले एक पाकिस्तानी एनजीओ औरत फाउंडेशन की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लगभग सत्तर फीसदी महिलाएं अपने जीवन में कम से कम एक बार घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं। यह हिंसा आमतौर उनके पतियों के द्वारा की जाती है।रोपेटा को लगता है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में उनका काम महिलाओं को सशक्त करेगा और उन्हें अधिकार देगा। वह कहती हैं,
मैं एक नारीवादी अभियान का नेतृत्व करना चाहती हूं और पुलिस बल में लैंगिग समानता को प्रोत्साहित करना चाहती हूं। उन्होंने आगे कहा, मैं खुद हमेशा पुलिस बल की भूमिका से बहुत प्रेरित और आकर्षित रही हूं।
पिता की मौत के बाद मां ने किया पालन पोषण
रोपेटा की सभी तीन बहनें डॉक्टर हैं और उनका छोटा बाई मेडिसिन की पढ़ाई कर रहा है। उनके पिता जैकबाबाद में एक बिजनेसमैन थे। रोपेटा जब 13 साल की थीं तब उनकी मृत्यु हो गई थी। पिता की मौत के बाद उनकी मां अपने बच्चों के साथ कराई गई। जहां उनका पालन-पोषणा मां ने ही किया।
रोपेटा याद करते हुए बताती हैं कि उनके गृहनगर में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना सामान्य बात नहीं थी और जब उनके रिश्तेदारों को पता चला कि वह पुलिस बल में शामिल हो रही हैं उन्होंने सोचा कि वह इतने कठिन पेशे में लंबे समय नहीं रह पाएगी। लेकिन मैंने उन्हें गलत साबित किया है।
एमबीबीएस की परीक्षा में एक अंक से हुईं थीं असफल
यह पूछे जाने पर कि उन्हें अलग पेशा चुनने के लिए किसने प्रेरित किया, रोपेटा ने कहा कि वह एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा को एक अंक से हासिल करने में असफल रही थीं। वह कहती हैं, मैंने तब अपने परिवार को बताया कि मैं फिजिकल थैरेपी में डिग्री ले रही हूं लेकिन साथ ही मैंने लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी की और 468 उम्मीदवारों में से 16वां स्थान हासिल किया। हालांकि रोपेटा ने माना कि सिंध पुलिस में एक वरिष्ठ पद पर होना और ल्यारी जैसी जगह पर ऑन-फील्ड प्रशिक्षण प्राप्त करना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके सहयोगी, सीनियर और जूनियर उनके विचारों और कड़ी मेहनत के लिए सम्मान के साथ व्यवहार करते हैं।
रोपेटा से पहले उमरकोट जिले की पुष्पा कुमारी ने भी इसी तरह की परीक्षा पास की थी और सिंध पुलिस में पहली हिंदू सहायक उप-निरीक्षक के रूप में शामिल हुई थीं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, पाकिस्तान में हर साल ऑनर के नाम पर पांच हजार महिलाओं की हत्या की जा रही है। सितंबर 2019 में पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने महिलाओं की दुर्दशा पर खतरे की घंटी बजाते हुए कहा था कि 2020 में देश में ऑनर किलिंग के 430 मामले सामने आए।