उत्तराखंड

परमीशन की आड़ में धरती का सीना छलनी करने वाले बेखौफ

गुलफाम अली 

परमिशन की आड़ में ग्राम आन्नेकी में अबैध रूप से खनन माफियाओं व्दारा रात्रि में खनन किये जाने का मामला संग्यान में आया है अब यहां पर बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि परमीशन की जगह से ही यदि बैधानिक तरीके से खनन हो रहा है तो फिर रात्रि में ही क्यों सही काम तो दिन में भी किया जा सकता है

खनन की परमिशन देने के बाद राजस्व विभाग से मिचौली का खेल क्यू खेलते आ रहे हैं खनन माफिया प्रसाशन परमीशन देने बाद जाकर भी नहीं देखना चाहता कि सच क्या है व परमीसन किस स्थान की है व खनन किस जगह से किया जा रहा है जबकि कई बार मौके पर अबैध खनन करते हुए प्रसाशन ने पाया भी व पूर्व में ऐस डी ऐम कुसुम चौहान जिन्होंने रात के समय भी छापा कर खनन माफियाओं के हौसले पस्त कर दिये थे परन्तु वही खनन माफिया अब वर्तमान ऐस डी ऐम साहब की विशेष तारीफ करते नजर आ रहे हैं लाखों रूपये राजस्व का नुकसान करने वाले दबंग खनन माफियाओं के खिलाफ यदि कोई भी आवाज उठाता है तो ये उसके खिलाफ फर्जी मुकदमा लिखवाने की धमकी देने व झूठी शिकायते करवाने में पीछे नहीं हटते क्यों कि शेर को यदि ऐक बार इंसान का मांस खाने को मिल जाए तो फिर वह नरभक्षी बन जाता है व सभी के लिए खतरनाक साबित होता है खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि ये रात्रि में अबैध हथियारों से लैश देखे गये हैं व इनकी खिलाफियत करने वालों को कई जगह तो जान से हांथ धोना पड़ता है! कितनी मिट्टी उठाने की परमिशन दी है और कितनी उठाई जा रही है जिस जगह की परमिशन बनाई गई है उस जगह से उठाई भी जा रही है या नहीं इससे साफ जाहिर होता है कहीं ना कहीं राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी धऱती का सीना चीरने वाले माफियाओं के सथ है!
हालांकि जब भी खनन माफियाओं के खिलाफ खबर प्रकाशित की गई है उसके बाद अधिकारियों को फोन करके जगाया गया और कार्यवाही के लिए कहा गया तो कार्यवाही होने के बाद ली गई परमिशन से कई गुना मिट्टी उठाई जाना पाई जाती हैं ।

शासन ने अवैध खनन पर भले ही रोक लगा दी हो। लेकिन हरिद्वार खनन माफिया साठगांठ के चलते परमीशन की आड़ में जमकर मिट्टी का खनन कर रहे हैं।
हालाकि आपको बताते चले खनन माफिया अब खनन को मास्टरमाइंड की तरह चला रहे हैं जैसे कहावत है सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे यानी अधिकारियों कि नजरो में खनन परमीशन का और उसके आड़ में चांदी काट रहे हैं!

कभी कभी खनन में प्रयुक्त होने वाले वाहन पकड़े भी जाते हैं तो कभी उन्हें मौके पर ही ले देकर छोड़ दिया जाता है।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद खनन पर सख्ती से रोक लगाने का आदेश दिया गया था। वहीं शासन के दबाव पर जब कभी खनन में लिप्त ट्रैक्टर पकड़े जाते थे तो उनसे जुर्माना वसूल किया जाता था जब इस जुर्माने में और बढ़ोत्तरी कर दी गई है। शासन की सख्ती के चलते अवैध रूप से होने वाला खनन रुक गया था लेकिन खनन माफियाओं ने अधिकारियों से साठगांठ कर खनन का रास्ता निकाल लिया सूत्र बताते हैं कि हजार दो हजार घन मीटर की परमीशन खनन माफिया ले लेते हैं।और उसके बाद माफिया खनन अनवरत रूप से शुरू कर देते है। हजार दो हजार घन मीटर ली गई परमीशन की आड़ में उससे बीस तीस गुना ज्यादा खनन किया जाता है ! इसके चलते ही अक्सर रात-रात भर मिट्टी भरी ट्रैक्टर ट्राली बड़े-बड़े डंपर दौड़ लगाते रहते हैं!

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