दिल्लीराज्य

बच्चों में खत्म होगा पढ़ाई का खौफ

नई दिल्ली । 9वीं (fear of studying) कक्षा में पढ़ने वाले एक बच्चे ने अपने दोस्त की इसलिए हत्या कर दी ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े। भले ही उसे जेल हो जाए। यूपी के गाजियाबाद में 23 अगस्त को सामने आई यह घटना कोई अकेला मामला नहीं है। इन बच्चों के बारे में ये भी माना जाता है कि ये बच्चे पिछली जेनरेशन के मुकाबले ज्यादा मिलनसार (fear of studying) होते हैं और दुनिया को अलग ढंग से देखते हैं।

इनके तौर-तरीके, बोल-चाल का स्टाइल भी काफी अलग होता है। कुछ साल पहले गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में भी एग्जाम रद्द कराने के लिए एक बच्चे ने अपने जूनियर का गला काट दिया था।

चाहे मैथ्स की बड़ी उलझनें हों या फिर इतिहास की कोई ऐसी घटना जिसके बारे में आपको बिल्कुल भी पता नहीं लेकिन वह टीचर आपकी ऐसे मदद करे जैसे बच्चों में लोकप्रिय कार्टून ‘डोरेमॉन’ में नोबिता की मदद 22वीं सदी का रोबोट करता है।

सोचिए, ऐसे टीचर बच्चों को मिल जाएं तो उन्हें पढ़ने में कितना मजा आएगा। इस तरह के मामले बच्चों में स्कूल जाने और इम्तिहान के खौफ को उजागर करते हैं। कहने का मतलब यह है कि स्कूल में टीचर जिस तरह से बच्चों को पढ़ाते हैं, वह तरीका कई बच्चों में डर पैदा कर देता है।

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