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पाकिस्तान में किसानों के पास न बीज बचे और न खाद

इस्लामाबाद । पाकिस्तान (Seed) में बाढ़ तबाही की कई कहानियां छोड़ गई है। घर, सड़कें, स्कूल और हॉस्पिटल्स तबाह हो चुके हैं। एक अनुमान के मुताबिक, मुल्क के तीन करोड़ लोग और एक तिहाई हिस्सा बाढ़ की बलि चढ़ गया। अब सबसे बड़ा खतरा भुखमरी का मंडरा (Seed) रहा है।

मुल्क में ‘वर्ल्ड फूड प्रोग्राम’ के डायरेक्टर राठी पलाकृष्णन कहते हैं- हालात हकीकत में बेहद खराब हैं। खाने के लिए तो छोड़िए, अब तो किसानों के पास बीज तक नहीं है। इस दौरानसिध और बलूचिस्तान के बड़े-बड़े होटल्स तक नहीं बचे। लाखों लोग बेघर हो चुके हैं, उनके पास न भोजन है और न सिर छिपाने के लिए छत।

दुनिया से मदद के तौर पर जो टैंट्स मिले हैं, उनमें ये परिवार रह रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार बाढ़ का कारण क्लाइमेट चेंज बता रही है। गेहूं की ज्यादातर फसल बर्बाद हो चुकी है। किसानों के पास नई फसल उगाने के लिए न तो बीज है और न खाद। अगर ये मिल भी जाए तो इन्हें खरीदने का पैसा नहीं है।

उनके जानवर भी बाढ़ में बहकर मारे जा चुके हैं। पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अब तक यही तय नहीं कर पाई है कि कितना नुकसान हुआ है। शहबाज ने कुछ दिनों पहले कहा था कि 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। खतरा इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि मौसम विभाग कह रहा है कि आने वाले हफ्तों में फिर भारी बारिश हो सकती है। अगर यह आशंका सच साबित होती है तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं।

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