दिल्ली

दिल्ली में फेक इंटरनेशनल कॉल सेंटर (call center )का भंडाफोड़

नई दिल्ली. पुलिस या सरकारी अधिकारी बनकर प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) से ठगी करने के लिए फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर        (call center ) चलाने के आरोप में एक महिला समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने ओखला में संचालित कॉल सेंटर पर एक अगस्त को छापा मारा. पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पूर्व) ईशा पांडेय ने बताया, ”हमें एक फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर के बारे में सूचना मिली थी जो दिल्ली के ओखला में चल रहा था. छापेमारी के दौरान पुलिस को ऐसे व्यक्तियों का एक समूह मिला जो प्रवासी भारतीयों के साथ विदेश में बातचीत कर रहे थे. पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया.”

पुलिस ने बताया कि घटनास्थल से 20 मोबाइल फोन, 11 कंप्यूटर, 10 हेडफोन और एक वाई-फाई राउटर जब्त किया गया है. उपायुक्त ने कहा, ”पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया कि वह प्रवासी भारतीयों से संबंधित देश के पुलिस और सरकारी अधिकारी बनकर धोखाधड़ी करते थे. आरोपी उन्हें कहते थे कि उनकी राष्ट्रीय पहचान संख्या आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाई गई है और अगर वह उन आपराधिक आरोपों से बरी होना चाहते हैं तो उन्हें एक निश्चित राशि का भुगतान करना होगा.” उन्होंने बताया कि आरोपों से बरी होने के लिए पीड़ित ऑनलाइन उपहार कार्ड के माध्यम से भुगतान कर देते थे.

फेक इंटरनेशनल कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया था
बता दें कि बीते महीने भी दिल्ली पुलिस ने एक फेक इंटरनेशनल कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया था और गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया था. ये आरोपी माइक्रोसॉफ्ट से तकनीकी सहायता देने के बहाने अमेरिकी नागरिकों से धोखाधड़ी करते थे और उन्हें चूना लगाते थे. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान शुभम (23), मोहित खन्ना (50), भूपिंदर सिंह (32) और राहुल मखीजा (22) के रूप में हुई है.

पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी किया करता था
पुलिस उपायुक्त (बाहरी दिल्ली) समीर शर्मा ने बताया कि बाहरी जिले के साइबर सेल थाने को 31 मई को रानी बाग क्षेत्र में संचालित अवैध कॉल सेंटर की सूचना मिली थी. उन्होंने बताया कि इसके बाद छापेमारी की गई. पुलिस के अनुसार, आरोपी व्यक्ति यूएस से माइक्रोसॉफ्ट सपोर्ट टीम के एक्जीक्यूटिव के रूप में खुद को बताता था और अमेरिकी नागरिकों के साथ बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी किया करता था.

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