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यूरोप ( यूरोप )और अमेरिका में कहर ढा रही गर्मी

भीषण गर्मी – यूरोप ( यूरोप ) महाद्वीप और अमेरिका में इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है. मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, आने वाले दिनों में तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है. एशिया में चीन के लोग हीटवेव से जूझ रहे हैं. क्‍या यूरोप और अमेरिका को झुलसा रही गर्मी आने वाले दिनों में भारत समेत पूरे एशिया को भी झुलसाएगी?

यूरोपीय महाद्वीप में गर्मी हर दिन नए रिकॉर्ड बना रही है. इटली में तो झुलसाती गर्मी के कारण रोम समेत 16 शहरों में रेड अलर्ट तक जारी करना पड़ गया. वहीं, अमेरिका में भी लोगों को भयंकर गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, अफ्रीका से आने वाली गर्म हवाओं ने यूरोप में हालात बिगाड़ दिए हैं. वहीं, एशिया में चीन के लोगों को भीषण गर्मी से दो-चार होना पड़ रहा है. ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि क्‍या आने वाले समय में भारत में भी तापमान बढ़ता जाएगा और लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना होगा?

मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, बहुत ज्‍यादा गर्म मौसम होने पर हीटवेव की स्थिति बन जाती है. हालांकि, ऐसे हालात लंबे समय तक नहीं रहते हैं. किसी भी क्षेत्र में हीटवेव के हालात तब बनते हैं, जब उस जगह का औसत तापमान बहुत ज्‍यादा बढ़ जाता है. अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से औसत तापमान अलग हो सकता है. भारत में हीटवेव को तीन मानकों पर परखा जाता है. सबसे पहला, जब मैदानी इलाकों का तापमान 40 डिग्री से ज्‍यादा हो जाता है तो हीटवेव के हालात मान लिए जाते हैं.

भारत में अगर तटीय इलाकों का तापमान 37 डिग्री के पार चला जाता है तो हीटवेव के हालात घोषित कर दिए जाते हैं. वहीं, पहाड़ी क्षेत्र का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा हो जाता है तो हीटवेव की स्थिति मान ली जाती है. फिलहाल भारत में मानसून की वजह से राहत है, लेकिन उमस से लोग परेशान हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे हालात का प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग है. वहीं, वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं आखिर तापमान में लगातार बढ़ोतरी क्यों हो रही है?
विशेषज्ञों के मुताबिक, लगातार जलवायु परिवर्तन के कारण भारत भी हीटवेव की जद में हैं. हालांकि, फिलहाल ये नहीं कहा जा सकता है कि भारत में पड़ने वाली ग्रीष्म लहर अमेरिका जैसी होगी या नहीं. भारत समेत एशिया, अमेरिका और यूरोप गर्मी से प्रभावित होते रहेंगे. विशेषज्ञों के मुताबिक, इन क्षेत्रों में गर्मी पड़ने का कारण आर्थिक गतिविधियां भी हैं.
नार्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक डेनियल हॉर्टन ने कहा है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गर्म हवा का प्रसार होगा. इससे तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती रहेगी. दुनिया में हीट वेव बड़ा खतरा बनता जा रहा है. इससे गर्मी से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. साथ ही बढ़ती गर्मी दुनियाभर में फसलों के लिए भी नुकसानदायक साबित होगी.
आईएमडी की मई 2022 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2060 तक हीटवेब में बढ़ोतरी होगी. इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन की शोधकर्ता मरियम का कहना है कि ज्यादा गर्मी और नमी इंसानों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है. हाल में एक शोध रिपोर्ट में बताया गया था कि जलवायु परिवर्तन के कारण लोगों की आंखों की रोशनी पर भी बुरा असर पड़ रहा है. यही नहीं ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था को भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.

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