उत्तर प्रदेश

निजीकरण से पहले बिजली विभाग से किनारा कर रहे इंजीनियर !

पूर्वाचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का असर अब इंजिनियरों पर भी दिखने लगा है. पिछले दो महीने में 11 बिजली इंजिनियरों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली है. वीआरएस लेने वालों में 8 चीफ इंजिनियर और 3 अधीक्षण अभियंता है.कॉरपोरेशन के चेयरमैन ने इन इंजिनियरों के वीआरएस को मंजूरी दे दी है. एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक हाल ही में तीन चीफ इंजिनियरों को उनके पद से हटाया गया था. ये तीनों चीफ इंजिनियर ऐसे थे, जिन्होंने वीआरएस के लिए अप्लाई किया था.

बड़ी संख्या में किया अप्लाई:

सूत्रों के मुताबिक अभी तक 11 इंजिनियरों का वीआरएस मंजूर हुआ है. लेकिन ऐसे 30 से अधिक इंजिनियर है, जिन्होने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है. इन इंजिनियरों का वीआरएस भी मंजूर होने की प्रक्रिया में है. मार्च तक वीआरएस लेने वाले इंजिनियरों की संख्या 50 के पार जा सकती है. निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद जिन इंजिनियरों ने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है.

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उसमें सभी इंजिनियर ऐसे हैं, जिनकी सेवा के 25 साल पूरे हो गए हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि 25 साल की सेवा पूरी होने के बाद इंजिनियरों को वीआरएस लेने के बाद भी पेंशन मिलती है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में इंजिनियर वीआरएस ले रहे हैं…

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