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एकनाथ शिंदे को नहीं चाहिए ‘शिवसेना (‘Shiv Sena)भवन’

मुंबई. चुनाव आयोग द्वारा पार्टी का नाम और सिंबल मिलने के बाद अब पार्टी की शाखाओं पर शिंदे गुट का नजर बनी हुई है. रत्नागिरी स्थित दापोली में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि दादर स्थित पार्टी मुख्यालय शिवसेना (‘Shiv Sena) भवन को अपने कब्जे में नहीं लेंगे. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी ढांचे की रीढ़ कही जाने वालीं शाखाओं पर नियंत्रण को लेकर लड़ाई तेज होने वाली है. शुक्रवार को रत्नागिरी के दापोली में एक स्थानीय शाखा के नियंत्रण को लेकर झड़प हुई, वहीं उद्धव ठाकरे गुट के पदाधिकारियों ने कहा कि शाखा नेटवर्क अभी भी उनके साथ है और कहीं नहीं जाएगा.

दूसरी ओर, कुछ पर्यवेक्षकों ने कहा कि शिंदे सेना धीरे-धीरे, चरणबद्ध तरीके से शाखाओं पर कब्जा कर सकती है. शिंदे के समूह को चुनाव आयोग द्वारा असली शिवसेना के रूप में मान्यता दिए जाने के साथ शिवसेना के फ्रंटल संगठन और यूनियनें विवाद का एक और कारण होंगी. पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न चले जाने के बाद भी उद्धव गुट शाखाओं और पदाधिकारियों को अपने पास कैसे रख सकता है, यह एक अलग सवाल है.

बता दें कि चुनाव आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न देने के फैसले के बाद, सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने दापोली में शिवसेना की शाखा पर धावा बोल दिया, जोरदार नारेबाजी की और दावा किया कि शिवसेना की शाखा उनकी है. उद्धव ठाकरे समूह की एक शाखा को शिंदे समूह के समर्थकों ने अपने कब्जे में ले लिया.

चुनाव आयोग द्वारा फैसला देने के बाद उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है. हालांकि अगर सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे की अपील को मंजूर नहीं किया जाता है तो शिवसेना के नाम पर अलॉट सभी संपत्ति और कार्यालयों पर एकनाथ शिंदे और शिवसेना अपना दावा पेश करेगी. साथ ही विधानसभा, विधानपरिषद, मुंबई महानगरपालिका और दूसरी महानगर पालिकाओं और नगर परिषदों के शिवसेना कार्यालय पर अपना दावा पेश करेगी.

वहीं उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि शिवसेना भवन और हमारी शाखा शिंदे गुट द्वारा नहीं छिना जा सकता. हमारे शिव सैनिक वहां बैठेंगे और शिवसेना की शाखा की तरह उसे चलाएंगे. केवल कुर्सी पर बैठकर फैसले लेने से हमारी पार्टी कहीं नहीं जा रही है. सेना शाखा और शिव सेना भवन हमारे साथ रहेगा.

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