Effect of Russia-Ukraine War: होली पर महंगाई कर सकती है परेशान?

नई दिल्ली/लखनऊ। Effect of Russia-Ukraine War: होली पर महंगाई कर सकती है परेशान? Russia-Ukraine के बीच चल रहे युद्ध का असर अब भारत के बाजारों पर भी दिखाई दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के दामों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसका असर सीधे भारत के बाजारों पर नजर आ रहा है। बीते दो सप्ताह में देश में खाद्य तेलों के दाम 15 से 25 फीसदी तक बढ़ गए हैं। भारत, रूस और यूक्रेन से 90 फीसदी से अधिक सूरजमुखी के तेल का आयात करता है। आज देश में सबसे ज्यादा दाम इसी तेल के बढ़े हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि सरसों के तेल के दाम फिलहाल नरम हैं।
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Russia-Ukraine क्योंकि इस साल मंडियों में आ रही सरसों की नई फसल की बंपर पैदावार है। कारोबारियों का कहना है कि तेल के लगातार बढ़ते दामों के कारण बाजार में फिलहाल तेजी देखी जा रही है, वहीं होली के कारण भी खाद्य तेलों की महंगाई को बल मिला है, जो अगले एक-दो माह तक बने रहने की संभावना है। देश में बीते दो सप्ताह के दौरान थोक बाजार में आयातित तेलों में आरबीडी पामोलीन के दाम 130 रुपये से बढ़कर 157 रुपये, कच्चे पाम तेल के दाम 128 रुपये से बढ़कर 162 रुपये प्रति किलो हो गए हैं।
दो सप्ताह में 25 फीसदी तक बढ़े दाम
देसी तेलों में सोयाबीन रिफाइंड के दाम 131 रुपये से बढ़कर 160 रुपये, सूरजमुखी तेल के दाम 130 रुपये से बढ़कर 165 रुपये, मूंगफली तेल के दाम 135 रुपये से बढ़कर 157 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। जबकि सरसों तेल के दाम 165 रुपये से घटकर 152 रुपये प्रति किलो रह गए हैं। दिल्ली खाद्य तेल संघ के मुताबिक, भारत खाद्य तेलों के आयात पर काफी निर्भर है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मुख्य खाद्य तेल उत्पादक देश मलेशिया और इंडोनेशिया ने इनके दाम बढ़ा दिए हैं। युद्ध के कारण यूक्रेन से देश में सूरजमुखी तेल की आपूर्ति थम गई है।
देश में 80 फीसदी से ज्यादा हर माह करीब दो लाख टन सूरजमुखी तेल यूक्रेन से ही आता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेलों के दाम बढ़ने का असर घरेलू तेलों की कीमतों पर भी पड़ा है। दो सप्ताह के दौरान देसी तेलों के दाम 20 से 30 रुपये किलो बढ़ गए हैं। हालांकि बीते दो-तीन दिन में मुनाफा वसूली के कारण कीमतें दो-तीन रुपये प्रति किलो घटी हैं। खाद्य तेल कारोबारी का कहना है कि युद्ध के कारण ज्यादातर खाद्य तेल महंगे होने के बीच सरसों तेल की कीमतों में नरमी का रुख है।
Russia-Ukraine अप्रैल तक सूरजमुखी तेल का पर्याप्त हैं भंडार
क्योंकि मंडियों में नई सरसों की आवक होने लगी है और इस साल सरसों की बंपर पैदावार है। तेल उद्योग के मुताबिक इस साल 115-120 लाख टन सरसों पैदा होने का अनुमान है। पिछले साल 85 से 90 लाख टन सरसों पैदा हुई थी। हालांकि सरकारी अनुमान के मुताबिक इस साल करीब 115 लाख टन सरसों उत्पादन होगा, जबकि पिछले साल उत्पादन करीब 102 लाख टन था। खाद्य तेल कारोबारियों का कहना है फिलहाल खाद्य तेलों की महंगाई ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
भारत में है हर साल 2.3 करोड़ टन खाद्य तेल की मांग
दरअसल, भारत सालाना 25 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इनमें 90 फीसदी हिस्सा रूस और यूक्रेन से आता है। क्योंकि यह दोनों देश ही तेल के बड़े आयातक हैं। पाम और सोयाबीन तेल के बाद देश में सूर्य मुखी तीसरा ऐसा खाद्य तेल है जिसका बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के पदाधिकारियों ने अमर उजाला से चर्चा में कहा कि देश में तिलहन उत्पादन नाकाफी रहने से भारत को खाद्य तेल की कुल मांग का 60 फीसदी हिस्सा बाहर से मंगाना पड़ता है।
देश में सालाना करीब 2.3 करोड़ टन खाद्य तेल की मांग है।
अगर Russia-Ukraine में सैन्य संघर्ष लंबे समय तक जारी रहा तो बंदरगाहों पर व्यापारिक गतिविधियां कम हो सकती हैं। इससे तेल और सोयाबीन तेल पर निर्भरता बढ़ सकती है। इधर, पहले ही इन दोनों तेलों की आपूर्ति कमजोर स्थिति में है। इस उद्योग से जुड़े लोगों ने अमर उजाला से कहा कि फिलहाल तो यूक्रेन में बंदरगाह बंद हो चुके हैं और जहाजों की आवाजाही पूरी तरह बंद है। अगर रूस और यूक्रेन में लड़ाई इसी तरह जारी रही तो मार्च के अंत तक सूरजमुखी तेल की उपलब्धता कम हो सकती है।
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फिलहाल देश में मार्च-अप्रैल मध्य तक सूरजमुखी तेल का पर्याप्त भंडार मौजूद है। लेकिन दोनों के बीच हालत नहीं सुधरे तो उपभोक्ता सोयाबीन सहित दूसरे वैकल्पिक तेलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे उनके दामों में भी इजाफा देखने को मिलेगा। गुरुवार से खाद्य तेलों की कीमतों में कुछ कमी दर्ज की गई और उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में हालात बेहतर हो जाएंगे। लेकिन अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो केंद्र को एक बार फिर शुल्कों में कटौती करनी पड़ सकती है।