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पृथ्वी की बहुत कमजोर मैग्नेटिक फील्ड(magnetic field)

पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड को उसके जीवन का आधार माना जाता है. इसकी वजह से हानिकारक विकिरण धरती की सतह तक नहीं पहुंच पाते हैं. यह पृथ्वी के वायुमंडल का कायम रखने में सहायक होती है इसके बारे में कम ही जानकारी है जो अप्रत्यक्ष तरीकों से ही हासिल हुई है. इसके इतिहास के बारे में बड़े रोचक तरीकों से थोड़ी बहुत जानकारी मिलती रही है. 35 करोड़ साल पहले पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड में कुछ गड़बड़ी थी. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने प्रस्ताव दिया है कि उस दौरान पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड (magnetic field) वाकई कमजोर थी जिसका असर ग्रह के जीवन पर भी पड़ा था.

डेवोनियन काल के रहस्य
पृथ्वी के इतिहास में 42 से 36 करोड़ साल के बीच का काल डेवोनियन काल कहा जाता है जो कई वैज्ञानिक पहेलियों से भरा पड़ा है. इनमें से सबसे बड़े रहस्यों में से एक यह है कि इस काल की चट्टानों में पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड के संकेत दिखाई क्यों नहीं देते हैं. लंबे समय तक वैज्ञानिक यह मानते रहे थे कि ऐसा इसलिए था क्योंकि किसी वजह से चट्टानों की चुंबकीय याद्दाश्त खो गई थी.

मैग्नेटिक फील्ड की कमजोरी
ओस्लो यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर अर्थ इवोल्यूशन एंड डायनामिक्स के पेलियोमैग्नेटिस्ट या पुराचुंबकत्वविद ऐनी वैन डर बून बताती हैं कि बहुत से अध्ययनों से ऐसा लगता है कि पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड उस दौरान वाकई कमजोर थी. और इसीलिए चट्टानों में इस बात के कोई संकेत दिखाई नहीं देते हैं.

मैग्नेटिक फील्ड का महत्व
पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड का कई प्रक्रियाओं और जीवन में अहम योगदान है. यह हमें सौर तूफानों से बचाती है जिसमें हानिकारक आवेशित कण होते हैं जो संचार और कई आधुनिक तकनीकों को छिन्न भिन्न कर सकते हैं. यह हमारे वायुमंडल की रक्षा करती है. कई जानवर इसकी मदद से आवागमन कर पाते हैं.

क्या जानने की कोशिश
वैनडर बून ने कनाडा में डेवोनियन काल की चट्टानों के नमूने जमा कर यह पता लगाने का प्रयास किया कि इस काल में चुंबकीय उत्तर और दक्षिणी ध्रुवों ने कितनी बार अपना स्थान बदला है. इस काम के दौरान ही बून को समझ में आ गया था कि दूसरे वैज्ञानिकों के लिए डेवोनियन काल के आंकड़ों की व्याख्या करना कितना मुश्किल था.

मुश्किल काम क्यों
बून ने बताया कि जैसे जैसे उन्होंने और शोधपत्र पढ़े, धीरे धीरे उनके लिए यह स्पष्ट होता गया कि भले ही चट्टानें सही तरह संरक्षित हों, उनसे विश्वस्नीय पुराचुंबकीय आंकड़े हासिल करने बहुत मुश्किल काम था. क्या हो अगर इसकी वजह यह हो कि मैग्नेटिक फील्ड ही इतनी कमजोर हो कि उसका असर ही ना हुआ हो.

वैज्ञानिक लंबे समय से यही मानते रहे हैं कि डेवोनियन काल की चट्टानें की चुंबकीय याद्दाश्त खो दी है. लेकिन बून का कहना है कि इस काल के सभी पुराचुंबकीय आंकड़े समस्याकारक हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस काल की चट्टानें तब गर्म हुई होंगी जब महाद्वीप आपस में टकराए होंगे जिससे चुंबकीय याद्दाश्त बदल गई होगी.

पिछले अध्ययन दर्शाते हैं कि पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड बहुत कमजोर थी. वैनडर बून के शोध का निष्कर्ष यह है कि विश्वसनीय आंकड़े ना मिल पाने की वजह शायद यही हो सकती है. जिससे यह समझने में परेशानी हो की उस दौरान महाद्वीपीय प्लेट कैसे गतिमान रही होंगी. उन्होंने पाया कि यहां तक कि वे चट्टानें, जिनमें अच्छी याद्दाश्त हो सकती थी, उन्होंने स्पष्ट नतीजे नहीं दिए. अब बून यह जानने का प्रयास कर रही हैं कि मैग्नेटिक फील्ड की यह कमजोरी कब शुरू हुई, कितनी लंबी थी और ऐसा क्यों हुआ.

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