ढाका (Dhaka)में भूकंप के झटके महसूस किए गए
ढाका: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आज सुबह लोगों की नींद धरती के कंपन से खुली,6 बजे के करीब भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.9 मापी गई. भूकंप का केंद्र ढाका (Dhaka) से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर था. यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे ने रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.3 बताई, और कहा कि इसका केंद्र ढाका डिवीजन में दोहर उपजिला के पास था, धरती की सतह से 10 किलोमीटर की गहराई में था. भूकंप के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर फेसबुक और वाट्सऐप स्टेटस की बाढ़ आ गई. नेटिजेंस ने एक-दूसरे से यह पुष्टि करने के लिए कहा कि क्या दूसरों ने भी झटके महसूस किए हैं.
एक फेसबुक यूजर ने लिखा, ‘मेरी पूरी इमारत हिल रही थी. यह लगभग 10 मंजिला है. यह एक बड़ा भूकंप रहा होगा.’ अन्य लोगों ने स्क्रीनशॉट साझा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया, जिसमें कहा गया कि भूकंप ढाका से 14 किमी दूर उत्पन्न हुआ. एक भूकंप जिसे इतिहास की किताबें हमेशा सामने लाती हैं वह लगभग 100 साल पहले का था. यह भूकंप 18 जुलाई 1918 को आया था, जिसकी तीव्रता 7.6 थी और इसका केंद्र श्रीमंगल, मौलवीबाजार में था. हाल के दिनों में, 5 दिसंबर, 2022 को ढाका और देश के अन्य हिस्सों में रिक्टर पैमाने पर 5.2 तीव्रता का मध्यम भूकंप आया था. विशेषज्ञों का कहना है कि ढाका को बिना किसी बड़े भूकंप के 130 साल हो गए हैं.
बांग्लादेश में कुछ प्रमुख फॉल्ट लाइंस हैं, जिनमें डौकी फॉल्ट, मधुपुर फॉल्ट और टेक्टॉनिक प्लेट बाउंड्री शामिल हैं. इस साल फरवरी में ढाका ट्रिब्यून के साथ एक साक्षात्कार में, बुएट के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ मेहेदी अहमद अंसारी, जो भू-तकनीकी और भूकंप इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता रखते हैं, ने कहा, ‘ढाका शहर में अधिकांश बुनियादी ढांचा निर्माण परियोजनाएं बिल्डिंग कोड के साथ भूकंप रोधी तकनीकों का अनुपालन नहीं करती हैं. नतीजतन, अगर कोई बड़ा भूकंप आता है तो पूरा ढाका शहर खतरे में पड़ जाएगा.’ उन्होंने अनुमान लगाया कि अगर ढाका में रिक्टर स्केल पर 7.0 तीव्रता का भूकंप आया तो बड़े पैमाने पर विनाश आएगा और अनुमानित 300,000 लोग मारे जा सकते हैं.
डॉ. अंसारी ने ढाका ट्रिब्यून को बताया, ‘तुर्की में आए 7 तीव्रता वाले भूकंप की तरह अगर ढाका में भी कुछ होता है, तो न केवल हजारों इमारतें ढह जाएंगी बल्कि अनियोजित बिजली संचरण और गैस लाइनों के कारण शहर आग के ढेर में बदल जाएगा. पिछले दो से तीन वर्षों में देश में भूकंप की आवृत्ति में वृद्धि हुई है, और हमारे यहाँ 100 वर्षों में इतना बड़ा भूकंप नहीं आया है. यह चिंता का विषय है. इसका मतलब है कि ये छोटे-छोटे कंपन ऊर्जा निर्माण के संकेत हैं. जैसा कि नतीजतन, आगे एक बड़े भूकंप का डर है.’ आपको बता दें कि इस साल 6 फरवरी को तुर्की में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप ने बड़े पैमाने पर तबाही मचायी. तुर्की से लगे सीरियाई क्षेत्रों में भी इसका प्रभाव रहा. इस आपदा में हजारों इमारतें जमींदोज हो गईं, और 50 हजार से अधिक लोग मारे गए.