दिल्ली

दिल्‍ली-एनसीआर ( Delhi-NCR)में फिर महसूस किए गए भूकंप के झटके

नई दिल्‍ली. देश की राजधानी दिल्‍ली ( Delhi-NCR) और आसपास के इलाकों में नए साल के पहले दिन भूकंप के झटके महसूस क‍िए गए. रिक्‍टर स्‍केल पर इसकी तीव्रता 3.8 मापी गई. नेशनल सेंटर फॉर सिस्‍मोलॉजीके अनुसार, भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्‍जर में था. भूकंप के केंद्र की गहराई जमीन के 5 किलोमीटर अंदर था. पिछले कुछ महीनों में दिल्‍ली-एनसीआर में भूकंप के कई झटके महसूस किए जा चुके हैं. इसके अलावा कुछ अन्‍य प्रदेशों में भी भूकंप के झटके आ चुके हैं.
भूकंप के झटके शनिवार को आधी रात के बाद 1:19 बजे महसूस किए गए. दिल्‍ली के साथ ही आसपास के इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके उस वक्‍त महसूस किए गए, जब लोग नए साल के आगमन के स्‍वागत में जश्‍न मना रहे थे. इससे पहले नवंबर 2022 में भी राष्‍ट्रीय राजधानी और आसपास के इलाकों में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 29 नवंबर 2022 को भी दिल्‍ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिसकी तीव्रता 2.5 मापी गई थी. 12 और 7 नवंबर 2022 को भी दिल्‍ली समेत देश के कई हिस्‍सों में भूकंप के झटके आए थे. दिल्‍ली के साथ ही नोएडा, गाजियाबाद आदि में लोग अपने-अपने घरों और कार्यालयों से बाहर निकल आए थे.

हिमाचल में भूकंप
हिमाचल प्रदेश में 31 दिसंबर 2022 को सुबह 5:51 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. मंडी जिले में आए भूकंप की तीव्रता रिक्‍टर स्‍केल पर 2.8 थी. पिछले 15 दिनों में हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग हिस्‍सों में चार बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं. 31 से पहले 26 दिसंबर को कांगड़ा में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 21 दिसंबर 2022 को हिमाचल के ही लाहौल-स्‍पीति में धरती डोली थी. वहीं, 16 दिसंबर को प्रदेश के किन्‍नौर में भी भूकंप के झटके महसूस क‍िए गए थे. रिक्‍टर स्‍केल पर इसकी तीव्रता 3.4 मापी गई थी.
भारत के साथ ही अन्‍य देशों में अक्‍सर भूकंप के झटके महसूस किए जाने की खबरें सामने आती रहती हैं. ऐसे में क्‍या आप जानते हैं कि भूकंप क्‍यों आते हैं? भूकंप आने की क्‍या वजहें हैं? पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है और इस डिस्‍टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.

 

 

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