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पुतिन के तेवर से अब सर्दी भी यूरोप( Europe!) पर पड़ेगी भारी!

लंदन: रूस से जर्मनी जाने वाली नोर्ड स्ट्रीम 1 (गैस) पाइपलाइन को नियमित रखरखाव के चलते बंद किये जाने से पहले से ही यूरोप              ( Europe!)ऊर्जा संकट से जूझ रहा था. हालांकि ऐसे संकेत मिले थे कि गुरुवार से कम से कम कुछ गैस प्रवाहित किए जाने की संभावना है. लेकिन अभी तक इसके शुरू होने को लेकर असमंजस बना हुआ है और सरकारी अधिकारी इस बात को लेकर अधर में लटके हुए थे कि यह अहम पाइपलाइन वक्त रहते शुरू होगी या नहीं. उनका कहना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन यूक्रेन को लेकर यूरोपियन संघ के साथ उनके टकराव में राजनीतिक लाभ के लिए ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं.

रूस पहले ही यूरोप जाने वाली प्राकृतिक गैस के प्रवाह को कम कर चुका है. यह गैस ऊर्जा फैक्ट्री, बिजली पैदा करने और सर्दियों में घरों को गर्म करने में इस्तेमाल होती है. पुतिन ने चेतावनी दी थी कि वह इसे लगातार घटाते रह सकते हैं. नोर्ड स्ट्रीम 1 के जरिए भेजी जाने वाली गैस में रखरखाव से पहले ही 60 फीसद की कटौती शुरू कर दी गई थी. यहां तक कि अगर पाइपलाइन घटे हुए स्तर के साथ दोबारा शुरू भी होती है तो यूरोप को घरों को गर्म रखने और सर्दियों में उद्योगों को चलाने के लिए संघर्ष करना होगा. ऊर्जा संकट को लेकर वो अहम बातें जो जानना ज़रूरी हैं…

क्या रूस ने यूरोप जाने वाली गैस बंद कर दी है
रूस ने आपूर्ति में काफी हद तक कमी की है. यूक्रेन पर आक्रमण से पहले भी रूस अल्पकालिक स्पॉट-मार्केट में गैस नहीं बेच रहा था. उस पर यूरोपीय संघ ने जब रूस के बैंकों और कंपनियों पर कठोर प्रतिबंध लगाए और यूक्रेन को हथियार भेजना शुरू किया. तो रूस ने छह सदस्य देशों को गैस देना बंद कर दिया. इसके साथ ही 6 और देशों के लिए आपूर्ति कम कर दी. यूरोपियन संघ की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में नोर्ड स्ट्रीम 1 के जरिए प्रवाह वापस दो तिहाई कर दिया गया था. रूस का आरोप है कि एक हिस्सा रखरखाव के लिए कनाडा भेजा गया था जो प्रतिबंध के चलते वापस नहीं आया. यूरोपियन नेतों ने इस आरोप को खारिज करते हुए इस प्रतिबंध को लेकर पुतिन का राजनीतिक हथकंडा बताया था.

इस वजह से यूरोपियन संघ के 27 सदस्य आने वाली सर्दी के लिए गैस स्टोरेज को लेकर हाथ पैर मार रहे हैं. यह वह वक्त है जब पॉवर प्लांट को चलाने और घरों को गर्म करने के लिए कंपनियां अपने भंडारण से गैस लेकर उसका उपयोग करती हैं. यूरोपियन संघ का लक्ष्य है कि अब सर्दियों के लिए भंडारण को बनाए रखने के लिए कम गैस का इस्तेमाल किया जाए. फिलहाल यूरोप का गैस भंडारण 65 फीसद ही भरा है, जबकि इसे 1 नवंबर तक 80 फीसद रखने का लक्ष्य है.

रूस की प्राकृतिक गैस इतनी अहम क्यों है

युद्ध से पहले रूस यूरोप को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करता था. जिसमें 15 फीसद तक गिरावट आ गई है जिससे दाम आसमान छू रहे हैं और उद्योगों पर भी असर पड़ रहा है. गैस का उपयोग ऐसे कई कामों में होता है, जिसके बारे में आमतौर पर लोग नहीं जानते हैं. मसलन कार बनाने के लिए स्टील का इस्तेमाल करने के लिए, ग्लास की बोतल बनाने के लिए, दूध और चीज़ को पास्चुराइज करने के लिए.

कंपनियों ने चेताया है कि फ्यूल ऑयल या बिजली से गर्मी पैदा करने जैसे ऊर्जा स्रोतों को रातों रात बदल नहीं सकते हैं. कई मामलों में, उपकरण जिसमें पिघली हुई धातु या ग्लास होता है, गर्मी के हटते ही पूरी तरह खराब हो जाता है. ऊर्जा की बढ़ती कीमतों ने पहले ही यूरोप में मंदी की स्थिति पैदा कर दी है. उपभोक्ताओं को खाने के सामान, फ्यूल और अन्य उपयोग के सामान के लिए खर्च करने के लिए कम है. ऐसे में गैस का पूर्ण कट ऑफ अर्थव्यवस्था को भारी झटका दे सकता है.

क्या है नोर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन

यह यूरोप जाने वाली सबसे बड़ी गैस पाइपलाइन है, जो रूस से जर्मनी के बाल्टिक सागर के अंदर चलती है और जर्मनी रूसी गैस का अहम स्रोत है. जर्मनी के नेटवर्क नियामक के प्रमुख क्लॉस मुलर ने ट्वीट करते हुए बताया कि रूसी स्वामित्व वाली गज़प्रोम ने गुरुवार को नॉर्ड स्ट्रीम 1 के जरिए लगभग 530 गीगावाट घंटे की गैस देने की योजना को अधिसूचित किया था- यह पाइपलाइन की क्षमता का करीब 30 फीसद है और 800 गीगावाट घंटे से कम है जिसे पहले अधिसूचित किया गया था. उन्होंने कहा, “आगे और भी बदलाव संभव हैं. जिन दिनों पाइपलाइन का रखरखाव होता है तब गैस आपूर्ति करीब 700 गीगावॉट घंटे प्रति दिन रहती है.”

रायस्टेड एनर्जी के विश्लेषक कहते हैं कि अगर नोर्ड स्ट्रीम 1 ऐसे ही निष्क्रिय रही तो यूरोप अपनी क्षमता के 65 फीसद तक ही पहुंच पाएगा, जिससे सर्दी के मौसम में गैस खत्म होने का जोखिम पैदा हो जाएगा. इसके अलावा तीन और पाइपलाइन रूसी गैस को यूरोप पहुंचाती हैं, लेकिन एक पोलैंड के जरिए और दूसरी बेलारूस के जरिए आने वाली पाइपलाइन बंद पड़ी है. इसके अलावा यूक्रेन और स्लोवाकिया के जरिए आने वाली पाइपलाइन से भी युद्ध के चलते कम मात्रा में गैस की आपूर्ति हो पा रही है. ऐसे ही तुर्की के जरिए बुल्गारिया जाने वाली पाइपलाइन का भी यही हाल है.

क्या है पुतिन की चाल

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार भले ही रूस के तेल और गैस निर्यातक कम ऊर्जा बेच रहे हैं, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी से साफ है कि पुतिन की कमाई वास्तव में बढ़ी है. पेरिस स्थित आईईए का कहना है कि वहीं यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से, यूरोप में तेल और गैस के निर्यात से रूस का राजस्व हाल के वर्षों के औसत से दोगुना होकर $95 बिलियन पर पहुंच गया है.

यहां हैरान करने वाली बात यह है कि रूस पूरी सर्दी भर गैस की आपूर्ति करके जितना राजस्व एकत्र करता है उतना उसने महज पांच महीने में हासिल कर लिया है. इसलिए पुतिन के पास नकदी है और शायद वह गणित लगा सकते हैं कि ऊर्जा की मंदी और जरूरी सामान पर बढ़ता बिल का बोझ यूरोप में यूक्रेन के लिए सार्वजनिक समर्थन को कमजोर कर सकता है. साथ ही इससे उनके पक्ष में बातचीत का माहौल बन सकता है.

आइईए के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल का कहना है कि पिछले एक साल में जो कुछ भी देखने को मिला है उसके आधार पर इस संभावना को नकारना नासमझी होगी कि रूस राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए यूरोप को गैस के निर्यात से मिलने वाले राजस्व को छोड़ने का फैसला कर सकता है. वास्तव में पुतिन ने कहा था कि अगर जिस टरबाइन को बदलने के लिए कनाडा भेजा गया है वह जल्दी नहीं हुआ तो नोर्ड स्ट्रीम 1 से भेजी जाने वाली गैस 60 मिलियन से 30 मिलियन क्यूबिक मीटर प्रति दिन या अपनी क्षमता से करीब पांचवां हिस्सा गिरेगी. कनाडा का कहना है कि उसने वह हिस्सा वापस भेज दिया है लेकिन जर्मनी ने उसके मिलने से इनकार कर दिया है.

मंगलवार को तेहरान में ईरान और तुर्की के नेताओं के साथ बातचीत के दौरान पुतिन से रूसी रिपोर्टर से कहा कि हमारे साझेदारों ने जो गलती की है उसका ठीकरा वह रूस और गज़प्रोम पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

यूरोप का कदम क्या होगा?

यूरोपियन संघ ज्यादा महंगी तरल प्राकृतिक गैस या एलएनजी की ओर रुख कर सकता है जो जहाज के जरिए अमेरिका या क़तर जैसी जगह से आती है. जर्मनी अपने उत्तरी समुद्री पोर्ट पर बहुत तेजी के साथ एलएनजी आयात टर्मिनल का निर्माण कर रहा है, लेकिन इसमें फिर भी सालों लगेंगे. चार तैरने वाले रिसेप्शन टर्मिनल में से एक इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा.

लेकिन एलएनजी अकेले इस अंतर को भर नहीं सकती है. दुनिया की एलएनजी निर्यात सुविधाएं पूरी क्षमता के साथ चल रही हैं लेकिन फिर भी बाजार में तंगी है और अब और ज्यादा गैस भी नहीं है. टेक्सास, फ्रीपोर्ट् में अमेरिकी टर्मिनल जिससे ज्यादातर गैस यूरोप भेजी जाती है, उसमें हुए विस्फोट से यूरोप की आपूर्ति का 2.5 फीसद रातों रात ऑफलाइन हो गया है.

ऐसे में संरक्षण और अन्य ऊर्जा स्रोत अहम हैं. मसलन जर्मनी लंबे वक्त से कोयले का प्लांट चला रहा है. संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए एक गैस नीलामी प्रणाली बना रहा है और सार्वजनिक इमारतों में थर्मोस्टेट को रीसेट कर रहा है. यूरोपियन संघ ने बुधवार को अपने सदस्य राज्यों से स्वेच्छा से आने वाले महीने में गैस के इस्तेमाल में 15 फीसद कटौती करने की अपील की है. वहीं यूरोपियन आयोग, जो यूरोपियन संघ की कार्यकारी शाखा है, उसने गैस की असाधारण मांग या भीषण कमी होने पर अनिवार्य कटौती करने की मांग की है.

यूरोपियन संघ के सदस्य राज्यों के ऊर्जा मंत्री अगले मंगलवार को इस मुद्दे पर आपातकालीन बैठक में चर्चा करेंगे. इसके अलावा देश वैकल्पिक ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं. इटली, फ्रांस और यूरोपीय संघ के नेताओं ने इस हफ्ते अल्जीरिया, अजरबैजान और संयुक्त अरब अमीरात में अपने समकक्षों के साथ सौदे किए हैं.

क्या यह सर्दी यूरोप पर पड़ेगी भारी

ऐसा होने की संभावना काफी कम है क्योंकि सरकार घरों, स्कूलों और अस्पतालों से पहले व्यापार पर कटौती लागू करेगी. जर्मन सरकार गैस आपूर्तिकर्ताओं को तुरंत उपभोक्ताओं को गैस आपूर्ति बढ़ाने की अनुमति दे सकती है. अगर नोर्ड स्ट्रीम 1 घटे स्तर पर भी चालू हो जाती है तो यूरोप को सर्दियों तक अपने भंडारण को भरने के लिए 12 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस बचाने की जरूरत होगी, जो 120 एलएनजी टैंकर के बराबर होगी. आईईए ने यूरोपियन देशों से अनुशंसा की है कि गैस की बचत को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाएं, और आपातकाल में गैस साझा करने की योजना बनाए. पूरी तरह से गैस बंद होने का मतलब है कि ज्यादा संरक्षण की ज़रूरत होगी और वक्त बहुत कम है.

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