पूजा (पूजा-)घर में भूलकर भी न रखें इस धातु के बर्तन

पूजा पाठ: सनातन धर्म में देवी देवता की पूजा (पूजा-) पाठ का विशेष महत्व बताया गया है. प्रत्येक घर में हर दिन नियमित रूप से सुबह और शाम ईश्वर की आराधना की जाती है. पूजा पाठ के नियमों के बारे में धार्मिक ग्रंथो में विस्तार से बताया गया है, इन नियमों का पालन करना मानव जाति के लिए बेहद लाभकारी हो सकता है. कुछ नियमों में एक यह भी नियम है कि पूजा पाठ के दौरान कुछ धातुएं ऐसी हैं जिनका प्रयोग वर्जित माना गया है. आप इन धातुओं का उपयोग पूजा के दौरान किसी भी रूप में करते हैं तो आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है. कौन सी वे धातुएं हैं जिनका उपयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए. जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
भूल कर भी ना करें इन धातुओं का उपयोग
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जब भी पूजा पाठ करें तो भूलकर भी लोहे के बर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि लोहे में जंग लग जाती है जिसकी वजह से वह शुद्ध धातु की श्रेणी में नहीं आती. भूल कर भी देवी देवता की पूजा आराधना में लोहे के बर्तन का उपयोग न करें. परंतु शनि देव की पूजा आराधना के समय आप लोहे के बर्तनों का उपयोग कर सकते हैं.
इन धातु के पात्रों का उपयोग करने से भी बचें
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जब भी धार्मिक अनुष्ठान या पूजा पाठ करें तो लोहे के अलावा स्टील और एल्यूमीनियम की धातु का भी उपयोग नहीं करना चाहिए. ये धातुएं भी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अपवित्र मन गई हैं, इनके हवा पानी के संपर्क में आने से जंग लग जाती हैं है. यहां तक कि इन धातुओं की मूर्ति भी नहीं बनाई जाती. इसलिए पूजा पाठ में भूलकर भी स्टील और एल्यूमीनियम की धातु का उपयोग नहीं करना चाहिए.
चांदी की धातु का उपयोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चांदी की धातु चंद्र देव का प्रतिनिधित्व करती है, हालांकि चंद्र देव पूजा पाठ में आशीर्वाद स्वरूप सुख-शांति और शीतलता प्रदान करते हैं. परंतु देव कार्य में चांदी का उपयोग करना वर्जित माना जाता है.
इन धातु के पात्रों का करें उपयोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी देवता की पूजा पाठ में सर्वश्रेष्ठ धातु तांबा मानी गई है. तांबे के बर्तन का उपयोग सबसे ज्यादा शुभ फलदाई माना जाता है. इसके उपयोग से देवी देवता बेहद प्रसन्न होते हैं और इच्छापूर्ति का वरदान प्रदान करते हैं.