बिहार विधानसभा चुनाव में डिजिटल, प्रत्यक्ष प्रचार का मिला-जुला स्वरूप दिख सकता है
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के बीच इस साल अक्ट्रबर-नवंबर में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों में इस बार राजनीतिक दलों के डिजिटल और प्रत्यक्ष प्रचार का मिला-जुला स्वरूप दिख सकता है। चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि वह बिहार में डिजिटल और उम्मीदवारों के प्रत्यक्ष प्रचार के मिश्रण की अवधारणा पर विचार कर रहा है और महामारी के बीच होने वाले अन्य चुनावों में भी इसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए उम्मीदवारों के सीधे प्रचार करने पर कुछ पाबंदियां जरूरी होंगी। आयोग ने कोविड-19 संकट के बीच आगामी चुनावों और उपचुनावों के लिए दिशा-निर्देश तय किये हैं और इस सप्ताह इनकी घोषणा की जा सकती है। राजनीतिक दलों तथा अनेक राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के सुझावों के आधार पर दिशा-निर्देश तय किये गये हैं। सूत्रों के अनुसार रैलियां करने के मुद्दे पर आयोग इस बात का फैसला स्थानीय अधिकारियों पर छोड़ सकता है कि आयोजन स्थल के आकार को देखते हुए कितने लोग भाग ले सकते हैं। प्रत्याशी के नामांकन पत्र भरने के लिए जाते समय आयोग उनके साथ अधिकतम दो लोगों को जाने की अनुमति दे सकता है। आयोग दस्तावेज ऑनलाइन जमा करने की अनुमति भी प्रदान कर सकता है। संभावना है कि वह घर-घर जाकर प्रचार करने के लिए तीन से अधिक लोगों की अनुमति नहीं दे। चुनाव आयोग ने सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए बिहार में प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या अधिकतम 1,000 तय की है। इस बाध्यता को देखते हुए राज्य करीब 34,000 अतिरिक्त मतदान केंद्र बना रहा है, जो सामान्य संख्या से 45 प्रतिशत अधिक होंगे। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त होगा और चुनाव अक्टूबर-नवंबर में कभी हो सकते हैं।