क्या श्रीलंका ने बालाचंद्रन की तरह प्रभाकरण ( Prabhakaran’)की मौत पर भी किए थे झूठे दावे
प्रभाकरण : तमिलनाडु के पूर्व कांग्रेस नेता और कर्ल्ड कंफेडरेशन ऑफ तमिल के अध्यक्ष पाझा नेदुमारन ने दावा किया है कि श्रीलंका के अलगाववादी संगठन लिट्टे का मुखिया और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का हत्यारा वेलुपिल्लई प्रभाकरण जिंदा है. नेदुमारन का कहना है कि प्रभाकरण बहुत जल्द दुनिया के सामने आकर अपनी मौत की अफवाहों को खत्म करेगा. अगर नेदुमारन का दावा सही निकलता है तो श्रीलंका एक बार फिर झूठा साबित होगा. इससे पहले श्रीलंका की सेना पर प्रभाकरण ( Prabhakaran’) के बेटे बालाचंद्रन की मौत के मामले में भी झूठे दावों के कारण दाग लग चुका है.
श्रीलंका की सेना ने दावा किया था कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम के मुखिया प्रभाकरण के खिलाफ सैन्य अभियान के दौरान उसके बेटे बालाचंद्रन प्रभाकरण की क्रॉस फायरिंग में मौत हुई थी. हालांकि, बाद में सामने आई तस्वीरों ने कुछ दूसरी ही कहानी दुनिया के सामने पेश की. इन तस्वीरों में सेना के जवानों से घिरा बालाचंद्रन प्रभाकरण कुछ खा रहा था. तब ब्रिटिश मीडिया में तस्वीरों के जरिये बताया गया था कि श्रीलंका की सेना ने प्रभाकरण के बेटे को सैन्य अभियान में पकड़ लिया था. इसके बाद उसको कुछ खाने के लिए दिया. इसके बाद गोली मारकर उसकी हत्या कर दी.
श्रीलंका की सेना दोहराती रही अपना दावा
श्रीलंका की सेना इन तस्वीरों के सामने आने के बाद भी लगातार यही कहती रही कि बालाचंद्रन प्रभाकरण सैनय अभियान के दौरान हुई क्रॉस फायरिंग का शिकार हुआ. उसे सेना ने जानबूझकर नहीं मारा था. हालांकि, दुनिया ने तस्वीरों के कारण श्रीलंका की सेना के दावे को कभी स्वीकार नहीं किया. अब नेदुमारन की ओर से प्रभाकरण के जिंदा होने और जल्द दुनिया के सामने आने के दावे से लगता है कि श्रीलंका की सेना और सरकार इस मामले में भी झूठी साबित होगी. हालांकि, इसके लिए प्रभाकरण का दुनिया के सामना आना जरूरी है.
बालाचंद्रन की मौत पर क्या थे दूसरे दावे?
मीडिया में आई तस्वीरों में दिखाया गया था कि बालाचंद्रन प्रभाकरण सेना के बंकर में बैठा हुआ कुछ खा रहा है. फिर दूसरी तस्वीर में उसका शव जमीन पर पड़ा हुआ दिखाया गया. उसके सीने में कई गोलियां लगी थीं. घटना के बाद बनी डॉक्यूमेंट्री ‘नो फायर ज़ोन: द किलिंग फील्ड ऑफ श्रीलंका’ में दिखाया गया कि श्रीलंकाई सेना ने बालाचंद्रन की हत्या की थी. साथ ही दावा किया गया कि सेना उसे धोखे से उठा लाई थी. बाद में उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया था कि बालाचंद्रन की हत्या गफ़लत में नहीं, बल्कि सोच समझकर की गई थी. हालांकि, श्रीलंका सरकार की ओर से कहा गया कि ऐसे सभी दावे झूठे हैं. इससे श्रीलंका की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है.किस-किस ने की प्रभाकरण के मरने की पुष्टि?
श्रीलंका सरकार ने 18 मई 2009 को एलटीटीई प्रमुख प्रभाकरण के सैन्य अभियान में मारे जाने का ऐलान कर दिया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री रत्नासिरी विक्रमानायके की सरकार ने दावा किया था कि प्रभाकरण का डीएनए परीक्षण करके उसकी मौत को पुख्ता कर लिया गया है. उस दौरान महिंद्रा राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति थे. सरकार की ओर से बताया गया कि प्रभारकण को उत्तरी श्रीलंका में 17 मई 2009 को मार गिराया गया. इसके अगले दिन मीडिया को प्रभाकरण का शव भी दिखाया गया था. इसके एक सप्ताह बाद एलटीटीई प्रवक्ता सेल्वारासा पथ्मनाथन ने भी अपने मुखिया की मौत की पुष्टि कर दी थी. प्रभाकरण का डीएनए परीक्षण मौत के दो सप्ताह बाद किया था.
सेना ने फिर किया जिंदा होने के दावे का खंडन
श्रीलंका की सेना ने प्रभारकण के जिंदा होने और जल्द सामने आने के दोवों का फिर खंडन किया है. सेना की ओर से कहा गया है कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम के नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरण को सैन्य अभियान में मारा जा चुका है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका की सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर रवि हेराथ ने कहा कि श्रीलंकाई गृहयुद्ध के आखिरी चरण में 2009 में प्रभाकरण की मौत हो गई थी. इसमें किसी तरह का संदेह नहीं है. प्रभाकरण की 17 मई 2009 को युद्ध के आखिरी दिन मौत के दो सप्ताह बाद डीएनए टेस्ट भी किया गया था. इसमें भी साफ हो गया था कि मरने वाला प्रभाकरण ही है. उन्होंने कहा कि हमें अब उसके जिंदा होने के दावों को लेकर कोई चिंता नहीं है.