वृंदावन में भगवान के अद्भुत दर्शन कर रहे भक्त
मथुरा । राधा-कृष्ण (amazing view) की भूमि है श्री धाम वृंदावन। यहां भगवान के कई मंदिर हैं। मगर, इस नगरी की असली पहचान यहां के सप्त देवालय हैं। इनमें भगवान के स्वरूप के अद्भुत दर्शन (amazing view) देखने को मिले। गोकुलानंद केशीघाट से राधारमण मंदिर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर का मुख्य द्वार बहुत छोटा है, लेकिन गर्भ ग्रह के बाहर बना आंगन बड़ा है।
यहां हरियाली बनाए रखने के लिए जाली का प्रयोग किया गया है। नरोत्तम दास ठाकुर के सेवित चैतन्य महाप्रभु, लोकनाथ दास के सेवित राधा विनोद, विश्वनाथ दास चक्रवती पद के गोकुलानंद और महाप्रभु के सेवित गिर्राज शिला मंदिर में विराजमान हैं। इससे बंदर पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचा सकें।
यहां के प्राचीनतम गोकुलानंद मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का कोतवाल के स्वरूप में श्रृंगार किया, तो राधा-रानी राजा के रूप में भक्तों को दर्शन दे रही थीं।भगवान गोकुलानंद को जमीन से अपनी भक्ति साधना के जरिए प्रकट किया था। गोकुलानंद यानी गोकुल के नंद। यहां भगवान कृष्ण राधा-रानी के साथ विराजमान हैं। यहां भगवान राधा-कृष्ण का स्वरूप प्रेमावतार रूप में है।
इस पर भगवान कृष्ण ने राधा-रानी की इच्छा को पूरा करते हुए उनका राजा के रूप में श्रृंगार किया। और खुद बने कोतवाल। यह ब्रज की लीला थी, इसीलिए आज भी वृंदावन के सप्त देवालय में रक्षाबंधन के अगले दिन भगवान के इसी स्वरूप में दर्शन होते हैं।मंदिर दर्शन करने आए श्रद्धालु गौरांग ने बताया कि यहां भगवान के दर्शन अद्भुत हैं।
यहां एक शिला पर चैतन्य महाप्रभु के अंगूठे का निशान है। कहा जाता है कि भगवान चैतन्य महाप्रभु भगवान राधा-कृष्ण के प्रेमावतार के दर्शन कर इस तरह खो गए कि जिस शिला पर उन्होंने हाथ रखा था वह भी पिघल गई। उस पर उनके अंगूठे का निशान बन गया। यह शिला आज भी मंदिर में विराजमान हैं।