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राग द्वेष पर विजय पाने वाला भगवान का भक्त: स्वामी अभयानंद सरस्वती

लखनऊ । श्री तुलसी सेवा समिति की ओर से मारुति पार्क त्रिवेणीनगर मे मंगलवार से शुरू हुई रामकथा मे मण्डेलेश्वर स्वामी अभयानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि रामकथा भक्ति की बरसात है। इसका ज्ञान थोड़ा कठिन जरूर है लेकिन जब इसे लोग समझ लेते हैं तो भक्ति के साथ-साथ जीवन भी संवर जाता है। उन्होंने कहा राम कथा का ज्ञान सुखा तो है जैसे मेवा सूखी होती है लेकिन खाने में ज्यादा लाभदायक हैं। उसी प्रकार राम कथा भी राम कथा का ज्ञान कठिन जरूर है लेकिन बहुत ही आनंददायक हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति का मार्ग प्रेम का मार्ग है ह्रदय द्रवित कर देता है। प्रेम से हृदय को द्रवित करो। स्वामी अभयानंद सरस्वती ने कहा कि श्रीरामचरितमानस को गोस्वामी तुलसीदास ने अयोध्या से लिखना शुरु किया। पहले हम मां भगवती, सरस्वती, बुद्धि के देवता गणेश जी, शिव जी हनुमान जी की वंदना करते हैं। उन्होंने कहा कि किष्किंधा कांड में ही हनुमान जी का प्रवेश होता है। गोस्वामी तुलसीदास जी मानस को लिखने के साथ साथ रजू के तट पर राम कथा की महिमा का गुणगान भी करते थे। जिसे सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते थे। लेकिन वहीं पर कुछ साधु संत ऐसे थे जिन्हें गोस्वामी तुलसीदास जी के प्रति राग द्वेष उत्पन्न होने लगा। स्वामी ने कहा कि जो राग द्वेष पर विजय पा ले वही सच्चा साधक है। राग द्वेष का आना स्वाभाविक है। लेकिन जो इस पर विजय पाल ले वह भगवान का भक्त है। भगवान की कथा में राग द्वेष का आना उचित नहीं है।आचार्य नित्य आलोक ने बताया कि श्रीराम कथा 07 नवम्बर तक सायं 06 बजे से 07.30 बजे तक होगी कथा मे कौशलेंद्र मिश्रा,ऊषा मिश्रा, प्रमोद दास जी महाराज, वरुण जी, अखिलेश वर्मा, संजय मिश्रा, रघुवंश पांडे आदि लोग मौजूद रहे।

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