uncategrizedअंतराष्ट्रीयदिल्लीप्रमुख ख़बरेंराज्य

DELHI की इस पहल की आप भी करेंगे तारीफ !!

नई दिल्ली – शहर की सफाई के बाद निकलने वाले लाखों टन कचरे को किसी एक स्थान पर एकत्र किया जाता है। यह लैैंडफिल साइट बाद में कचरों से पहाड़ में बदल जाती हैैं और सड़ांध व जहरीली गैसों से प्रदूषण भी फैलाती हैैं। अब DELHI में इसका निदान खोजा गया है जहां कचरे से मिट्टी (इनर्ट) निकालकर सड़क के आधार को मजबूत करने में प्रयोग किया जा रहा है।

एनएचएआइ ने दी इजाजत

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने कचरे की मिट्टी को सड़कों के भराव के लिए उपयुक्त पाया है और इसका प्रयोग दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे के एक हिस्से में भी कर रहा है। दिल्ली में तीनों लैंडफिल साइट (गाजीपुर, भलस्वा और ओखला) के कूड़े को साफ कर निकाली गई करीब चार लाख टन इनर्ट सड़क निर्माण के लिए दी गई है। दूसरे राज्यों में भी कचरे के लैंडफिल खत्म करने और पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए यह कदम काफी कारगर हो सकता है।

दक्षिणी दिल्ली ने एक लाख से ज्यादा इनर्ट कराई उपलब्ध – दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने एक लाख टन से ज्यादा इनर्ट दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे के लिए कालिंदी कुंज के पास एनएचएआइ को उपलब्ध कराई है। राष्ट्रीय राजधानी में रिंग रोड के तौर पर बनाई जा रही अर्बन एक्सटेंशन रोड-2 (बवाना से द्वारका तक) में भी प्रयोग के लिए इनर्ट दिया जा रहा है। अब तक उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने एक लाख 22 हजार टन इनर्ट इस रोड पर भराव के लिए दिया है।

क्या होता है इनर्ट – दिल्ली में लैैंडफिल साइट बहुत पुरानी हैं। इनमें प्लास्टिक से लेकर ईंट और गीला कचरा पहले मिश्रित रूप में ही डाला जाता था। निगमों ने वर्ष 2018 से लैैंडफिल की ऊंचाई घटाने के लिए ट्रामल मशीनें लगाई हैैं। तीनों लैंडफिल साइट पर 100 से अधिक मशीनें कचरे से मिट्टी और प्लास्टिक को अलग करती हैं। कचरे से निकली यह मिट्टी ही इनर्ट कहलाती है। दिल्ली में पर्याप्त जगह न होने के चलते सबसे बड़ी समस्या इस इनर्ट को दूसरी जगह पर डालना था। अगर एक ही स्थान पर इस इनर्ट को डाला जाए तो दूसरी लैंडफिल खड़ी हो जाएगी। इसलिए निगम इस इनर्ट को उन स्थानों पर डाल रहा था जहां पर भराव की जरूरत है। पार्कों में खाद के रूप में भी इसका उपयोग किया गया है।

कचरा में 70 प्रतिशत तक इनर्ट – दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट की बात करें तो यहां करीब 270 लाख टन कचरा जमा है। ट्रामल मशीनों से कचरे को निस्तारित करने में जो इनर्ट निकलती है, वह लगभग 70 प्रतिशत होती है। यानी दिल्ली की लैंडफिल के पूरे कचरे को साफ करने के बाद लगभग 193 लाख टन इनर्ट मिलेगी। इसे एक स्थान पर डालने से दो लैंडफिल और खड़ी हो जाएंगी। इसी कारण इसके अन्य प्रयोगों पर विचार के दौरान ही सड़कों निर्माण में भराव का विकल्प सामने आया जो सफल भी रहा। सड़क निर्माण में प्रयोग होने से इनर्ट के कारण नई लैंडफिल साइट भी खड़ी नहीं होगी। यही नहीं, सड़क के भराव के लिए दूसरी जगह से मिट्टी भी नहीं खोदनी पड़ेगी।

राहत की बात – हमारे लिए बड़ी राहत की बात है कि इनर्ट का उपयोग एनएचएआइ सड़कों के भराव में कर रहा है। एनएचएआइ ने जांच में सड़क निर्माण में भराव के लिए इसे उपयुक्त पाया है। हम करीब चार माह से मांग के अनुसार इनर्ट उपलब्ध करा रहे हैं। मुकेश सुर्यान, महापौर, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम , ऐसी है दिल्ली की लैंडफिल , गाजीपुर लैंडफिल साइट

 

क्षेत्रफल 70 एकड़

कब शुरू हुई- 1984

ऊंचाई (दो साल पहले)- 65 मीटर

ऊंचाई (वर्तमान) – 53 मीटर

कूड़ा – 140 लाख टन

ओखला लैंडफिल साइट

क्षेत्रफल- 40 एकड़

कब शुरू हुई -1996

ऊंचाई (दो वर्ष पूर्व)- 62 मीटर

ऊंचाई (वर्तमान)- 38 मीटर

कूड़ा -55 लाख टन

भलस्वा लैैंडफिल साइट

क्षेत्रफल – 51 एकड़

कब शुरू हुई -1994

ऊंचाई (दो वर्ष पूर्व) – 65 मीटर

ऊंचाई (वर्तमान) – 53 मीटर

कूड़ा – 80 लाख टन

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button