Defconnect 2.0 : राजनाथ बोले: तेजी से बदल रही है वैश्विक व्यवस्था, जाने पूरी खबर

नई दिल्ली। Defconnect 2.0 : राजनाथ बोले: तेजी से बदल रही है वैश्विक व्यवस्था, जाने पूरी खबर यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक व्यवस्था तेजी से बदल रही है। ऐसी परिस्थितियों में अपनी रक्षा, शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत के पास खुद को और मजबूत करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। राजनाथ ‘डेफकनेक्ट 2.0’ के उद्घाटन के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
Defconnect 2.0 : खुद को मजबूत करने के सिवा कोई विकल्प नहीं
डेफकनेक्ट 2.0 एक दिन का कार्यक्रम है जो रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप्स, बड़ी कंपनियों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों को एक मंच पर लाने के लिए आयोजित किया गया है। इस दौरान सिंह ने कहा कि दुनिया में ऐसी बहुत सी गतिविधियां हो रही हैं जो भारत को प्रभावित कर रही हैं।
‘कोरोना संकट नहीं खत्म हुआ और यूक्रेन विवाद शुरू हो गया’
सिंह ने यहां मौजूद लोगों से कहा, जब हमारी एयरो इंडिया 2021 (21 फरवरी) को मुलाकात हुई थी, तब से अब तक दुनिया इतनी बदल चुकी है कि इसका हिसाब नहीं लगाया जा सकता। हर नया खतरा पहले से अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण दिख रहा है। हम अभी तक पूरी तरह कोरोना संकट से नहीं उबर पाए हैं और दुनिया यूक्रेन संघर्ष का सामना कर रही है।
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रक्षा मंत्री ने कहा कि समय के साथ जिस तरह वैश्विक व्यवस्था बदल रही है, हमारे पास खुद को और मजबूत करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी दुनिया मध्य पूर्व, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अस्थिरता की गवाह बन चुकी है। इसके अलावा भी दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जो भारत को प्रभावित कर रही हैं।
किसी रक्षा प्रौद्योगिकी का केवल हमारे पास ही होना आवश्यक
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि खुद को मजबूत करने के लिए हमें अपने देश में रक्षा क्षेत्र के कई सेक्टरों को विकसित करने की आवश्यकता है। इस संबंध में विघटनकारी प्रौद्योगिकी (डिस्रप्टिव टेक्नोलाजी) एक बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी रक्षा प्रोद्योगिकी की उपयोगिता और आधुनिकता या अनोखापन समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
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उन्होंने कहा कि एक रक्षा प्रौद्योगिकी हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है यह निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण है। लेकिन, यह भी जरूरी है कि वह प्रौद्योगिकी केवल हमारे पास होनी चाहिए। सिंह ने कहा कि जब कोई रक्षा प्रौद्योगिकी दूसरे देशों के पास पहुंच जाती है तो उसकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है। क्योंकि, सामने वाला देश उसके बारे में पूरी जानकारी रखता है।