सोचे विचारें

भारत में शिक्षा का पतन

भारत में ऐसा माना माना जाने लगा है की शिक्षा का प्रसार केवल अंग्रेजों के आने के बाद हुआ. ऐसा ही कुछ पश्चिमी लोगों द्वारा स्थापित करने के कुत्सित प्रयास किया गया. यदि भारतीय शिक्षा प्रणाली को समझना हो तो प्रोफेसर धर्मपाल द्वारा किए गए शोध को समझना होगा,जिन्होंने अपने जीवन के कई वर्षों  के कठिन परिश्रम के बाद खोजा. धनपाल जी  करीब 40 साल तक यूरोप में रहे और शोध किया. उन्होंने कई हजार दस्तावेज एकत्र करके अध्ययन किया और पता लगाया कि अंग्रेजों से पहले भारत की शिक्षा प्रणाली सर्वोत्तम थी. भारत के पद आसीन राजनीतिज्ञों द्वारा समय-समय पर अंग्रेजों की बढ़ाई करते हुए भारतीय शिक्षा को नजरअंदाज किया गया, जिसके कारण कई स्थानों पर भारतीयों को शर्म का भी सामना करना पड़ा और यह भी विचित्र बात है कि भारतीय शिक्षा के विषय में मुखरता भी कुछ अंग्रेजो के द्वारा ही मिलती है.

एक उच्चस्तरीय अंग्रेज अधिकारी विलियम एडम भारत में आया और मैकाले उसके अधीनस्थ था.विलियम एडम ने करीब 1780 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की जो ब्रिटिश पार्लियामेंट हाउस ऑफ कॉमंस में प्रस्तुत की गई जो आज भी रिकॉर्ड में उपलब्ध है.मैकाले द्वारा 2 फरवरी 1845 में पार्लियामेंट में यह वक्तव्य दिया गया कि उसने भारत में सभी जगहों का भ्रमण किया और उसे कहीं भी भिखारी नहीं मिला और ना ही कोई पर आश्रित व्यक्ति मिला बल्कि तत्कालीन विश्व के कई शहरों की कुल संपत्ति भारत के एक शहर से भी कम है जिसे सूरत कहा जाता है. इसके साथ ही सुझाव दिया कि भारत के धन और वैभव को खत्म करके ही इसे गुलाम बनाया जा सकता है और इसके लिए भारतीय शिक्षा व्यवस्था को समाप्त करना होगा. भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर मैकालेआगे कहता है कि वहां कोई निरक्षर नहीं है जबकि उस समय इंग्लैंड की साक्षरता 17% भी नहीं थी .उस समय भारत में लाख राजस्व ग्राम है और इन सभी में स्कूल हैं ,जिन्हें गुरुकुल कहा जाता है उस समय भी बड़े गुरुकुल में करीब २0 हजार विद्यार्थी थे. और सभी जगह उपदेशक शिक्षा प्रणाली है.

भारत के नागरिक चार वर्णों में हैं और सभी वर्णो के लोग इन गुरुकुल में शिक्षा रहते हैं इसके अलावा महिलाएं भी समान रूप से शिक्षारत हैं,और सभी गुरुकुल के साथ एक उच्च अध्ययन केंद्र था, जहां शिक्षकों को तैयार किया जाता है भारत में गुरुकुल में 18 विषय पढ़ाए जाते हैं और सर्वाधिक वैदिक गणित पढ़ाया जाता है,इसके अलावा खगोल शास्त्र धातु,धातु विज्ञान,कारीगिरी या एस्ट्रोफिजिक्स,रसायन शास्त्र, चिकित्सा,औषधी और सर्जरी जैसे गूढ विषयों को भी पढ़ाया जाता है यहां 5 वर्ष की आयु से लेकर 21 वर्ष की आयु तक छात्रों को पढ़ाया जाता है, और विद्यार्थियों की परीक्षा उसके शिक्षकों द्वारा कौशल कार्य को देखकर किया जाता है. यूरोपियन प्लेटो का अनुसरण करते हुए यह मानते हैं कि शिक्षा की जरूरत है तो केवल राजनयिकों को हीं है,आम लोगों को नहीं क्योंकि प्रजा को केवल निर्देशों का ही पालन करना होता है।और कॉलोनियल सिस्टम मैं अनुशरण किया गया, जिसकी छवि कुछ वर्षों पूर्व  भारत में देखा गया जो अंग्रेजों द्वारा ही भारत वर्ष में लागू किया गया. जिससे आसानी से भारतीय समाज को विघटित किया जा सके।

भारत की शिक्षा व्यवस्था में शिक्षा और विद्या दोनों पढ़ाए जाते थे,अर्थात दोनों ही अलग-अलग हैं. आज के परिवेश में विद्या अनुपस्थित है जो व्यक्ति को उच्च स्तर का बनाता है. उस समय भी उच्च शिक्षा संस्थान थे जो करीब 15,000 थे जो किसी न किसी विषय में निपुण हैं,जैसे अमरावती उच्च शिक्षा संस्थान धातु विज्ञान में पारंगत है,कांगड़ा शल्य के लिए और जहां स्किन ग्राफ्टिंग भी होती है उसी पार्लियामेंट में कर्नल कूट में अपनी आपबीती बताई जिसकी स्वयं की नाक की सर्जरी की गई थी। यह घटना 1835 में बताई जा रही थी।
गुरुकुल के ज्ञान सभी को दे रहे थे,अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक विषय का ज्ञान था। भारत में स्त्रियों की संपत्ति उच्चस्तरीय है,और उसे देवी स्तर प्राप्त था.उनका क्रियात्मक ज्ञान आश्चर्यजनक है।गुरुकुल का योगदान संपूर्ण समाज के लिए है वहां के शिक्षार्थियों ने कई तरह के तालाब,धर्मशालाएं और डैम भी बनाया,पहला ज्ञात डैम कावेरी नदी पर बनाया गया था वह भी 12 वीं शताब्दी में,और उसी क्रम में पार्लियामेंट में एक कानून पास किया गया जिसे इंडियन एजुकेशन एक्ट कहा गया और उसे लागू करके भारतीय शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त किया और सभी गुरुकुल का नाश कर दिया गया।

अब सोचनीय विषय यह है कि इतनी उत्तम शिक्षा व्यवस्था को छोड़कर किस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था लागू की गई. जिससे लोगों की को निर्धन बना दिया और समाज को कई भागों में बांट दिया गया.मैंकाले और विलियम के पूरे वक्तव्य में कहीं नहीं कहा गया कि भारत में शिक्षा ग्रहण में वर्ण जाति या लिंग भेद होता हो फिर भी विघटन कैसे हुआ? कैसे लोग गरीब बने? कैसे सामाजिक पतन हुआ?फिर इस समाज में इतनी कटुता कैसे आई? और कैसे इस वर्तमान व्यवस्था को बदला जा सकता है?यह सवाल सभी व्यक्तियों और सभी वर्गों के लिए है जो स्वयं को भारतीय मानते हैं।क्रमशः…….

लेखनद्वारा

 अभिषेक द्विवेदी
 
 

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