कोरोना संक्रमण से पांच सौ करोड़ वार्षिक टर्नओवर वाला पीतल उद्योग हुआ एक चौथाई
छह माह से बीस हजार बर्तन बनाने वाले श्रमिक बेरोजगार
मीरजापुर। कोरोना संक्रमण से पांच सौ करोड़ वार्षिक टर्न ओवर वाले नगर के पीतल बर्तन से जुड़े कारोबारियों की आय घटकर एक चौथाई हो गयी है। बीते छह माह से पूर्णबंदी के कारण उत्पादन जहां ठप हो गया है। वहीं इस उद्योग से जुड़े 20 हजार श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। ट्रेनों का संचालन बंद होने के कारण व्यापारी पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, मध्य प्रदेश आदि प्रांतों में बर्तन नहीं भेज पा रहे हैं। इस उद्योग से जुड़े व्यापारी और श्रमिकों को दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नवरात्र करीब आते ही पीतल उद्योग की चमक बढ़ जाती थी। प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा एवं मध्य प्रदेश के व्यापारियों का नगर में जमघट लगना शुरू हो जाता था। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते पीतल बर्तन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो गया है। इस व्यवसाय से जुड़े चार से पांच सौ कारोबारी एवं बीस हजार श्रमिकों के पास कोई काम ही नहीं है। व्यापारियों का आवागमन जहां बंद हो गया वहीं नये बर्तन बनाने के लिए स्क्रैप भी नहीं मिल पा रहा है। पीतल बर्तन व्यवसायी ईश्वर चंद्र वर्मा का कहना है कि बीते छह माह में तीन सौ से चार सौ करोड़ रुपये के व्यवसाय की क्षति हुई है। अनलॉक में भी पीतल बर्तन व्यवसाइयों को कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है। ट्रेनों का संचालन ठप होने से गैर प्रांतों के व्यापारी माल खरीदने के लिए नहीं आ रहे हैं। मीरजापुर मेटल ट्रेर्डस एसोसिएशन के मंत्री रविन्द्र अग्रवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण किए गए पूर्णबंदी से पीतल बर्तन व्यवसाइयों को भारी आर्थिक क्षति हुई है। नगर के कसरहट्टी मोहल्ले के प्रत्येक घरों के लोग इस व्यवसाय से जुड़े है। ये सभी बेरोजगार हो गए और दो वक्त की रोटी की समस्या खड़ी हो गयी। वहीं राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के प्रदेश महामंत्री रविन्द्र जायसवाल ने कहा कि नवरात्र के दिनों में पीतल बर्तन की मांग अधिक होती है। इस वर्ष नवरात्र मेले के दौरान देश भर में लॉकडाउन रहा। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के सदस्य व पीतल बर्तन व्यवसायी हरिओम सिंह ने कहा कि कोरोना संकट से यह उद्योग प्रभावित हुआ है। शादी-विवाह के दौरान बिक्री के लिए तैयार कराया गया माल गोदामों में डंप हो गया। इससे बैंक से लिए गए ऋण को न चुका पाने के कारण ब्याज भी अतिरिक्त भरना पड़ रहा है। वहीं दैनिक खर्च के लिए भी व्यापारियों के पास पैसा न होने से व्यवसाय भी नहीं कर पा रहे है। इससे पीतल बर्तन व्यवसायी धीरे-धीरे कर्ज के जाल में फंसता गया और अब उसे कर्ज से उबरने के लिए अतिरिक्त कर्ज लेना पड़ रहा है। शासन की तरफ से व्यापारियों की मदद के लिए कोई पैकेज नहीं दिया गया।