किए गए बुरे कर्म का फल
( रामजी लाल गोस्वामी):बहुत प्राचीन गांव अकबरपुर में 65 वर्षीय पंडित रमाशंकरत्रिपाठी के 22 वर्षीय पुत्र जीवा लाल की शादी गंगापुर गांव के सुदर्शन पांडे की 20 वर्षीय पुत्री रामबेटी से होकर आई।तो गांव में रामबेटी की सुंदरता की चर्चा पूरे गांव में फैल गई । रामबेटी डीलडोल से हष्ट पुष्ट गोरे बदन गुलाबी गाल नाक नक्शे से बहुत सुंदर थी गांव की औरतें जो भीमुंह दिखानी के लिएआती वह सभी यही कहती की रमाशंकर की पत्नी रामदेवी और उनका पुत्र जीवालालजितने सुंदर अच्छे आचरण के हैं उन्होंने उतनी ही सुंदर अच्छे आचरण की बहू पाली है । घर मे आने जाने बड़े लोगों का कितना मान सम्माआन करती है । बोलचाल आचरण में कितनी अच्छी है। उस के जुवान में कितनी मधुरता है.।
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नाचने गाने में भी किसी से कम नहीं है। अपनी सास जेठ जेठानी से कितनी अदब दबी जुबान से बात करती है । आज कल जैसी बहू की तरह बातूनी नहीं है । बहू अपने काम से काम रखती है.। व्यर्थ की बातों पर ना तो ध्यान नहीं देती है और ना व्यर्थ की बातें करती है ।
गांव वाली औरतों से अपनी बहू की प्रशसा सुनकर सास ससुर फूले नहीं समा रहे थे। बहू के कामकाज सुंदर आचरण सेवा भाव से सासससुर बहुत खुश रहा करते थे। सास ससुर बहू को यही शिक्षा देते रहते थे । अपने बड़ों की जितनातुम मान सम्मानकरोगी और उनसे दुआएं लोगी जीवन में उतनी ही खुशहाल रहोगी । मनुष्य की खुशाली उन्नति के लिए दुआएं ही काम आती है।
समय चक्र बड़ी तेजी से घूम रहा था। बहू रामबेटी पुत्र जीवा लाल दोनों की सेवा से पिता पंडित रमाशंकर त्रिपाठी ने 120 वर्ष की उम्रऔर रमाशंकर त्रिपाठी की पत्नी रामदेवी ने भी 110 वर्ष की उम्र पाली थी। बड़े बूढ़े सास ससुर की सेवा से ढलती उम्र में जीवा लाल और उनकी पत्नी राम बेटी ने बहुत धन दौलत सभीपाली थी और उनके19वर्षीयपुत्रसुखदेव भी हो गया था। जब सास ससुर की मौत हुई थी ।तब जीवा लाल 60 वर्ष पत्नी रामबेटी की भी उम्र 58वर्ष की हो चुकी थीजीवालाल के पुत्र 20 वर्षीय सुखदेवकीशादी भी19 वर्षीय लीलावती से होचुकी थी। जीवा लाल का परिवार बड़े खुशहाली के दिन गुजार रहा था। घर में नौकर चाकर सुख सुविधा के सभी साधन उपलब्ध हो चुके थे।
धन दौलत पाने केजीवा लाल के पुत्र सुख देव तथा उनकी पत्नी लीलावती दोनों बड़े आलसी भोग विलासी स्वभाव के हो गएथेऔर दोनों पैतृक संपत्ति पर मौज मस्ती कर रहे थे । रामबेटी जब भीअपने पुत्र सुखदेव अपनी बहू लीलावती को समझाने की कोशिश करतीतो बहू बेटा उनकी बातों को अनसुनी कर देते ।जब भी राम बेटी अपनी बहू को बताती कि उसने अपने सास-ससुर की कितनी सेवा की थी और उन्हीं की सेवा के कारण आज उन के पास सब कुछ धन दौलत है और उनकी सेवा के लिए नौकर चाकर है।तुम भी अगर बड़े बूढ़े की सेवा करोगी तो अवश्य उसकाअच्छा फल पाओगीलेकिन बहू लीलावती सास राम बेटी की बातों को अनसुनी कर देती। सास ससुर की सेवा स्वयं ना करके उन की सेवा नौकरों से कराती थी। सास की बातों की हमेशाअनसुनी करती रहती थी इसलिए सास बहू से नाराज रहती थी।
कुदरत का नियम है मनुष्य जैसा करता है उसे वैसा ही फल मिलता है ।सास ससुर कीअच्छीसेवाकरने के कारण जीवा लाल तथा उनकी पत्नी राम बेटी कि जिंदगीबड़ीचैन से कट गई । लेकिन जीवा लाल और पत्नी रामबेटी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र सुखदेव औरसुख देव की पत्नी लीलावती काजीवन बड़ी कठिनाईसेगुजरनेलगा।सुख देव और उनकी पत्नी लीलावती से जो राजकुमार पैदा हुए वह भी अपने मां बाप के तरह से ही आलसी भोग बिलासी प्रवृत्ति के निकला । जब राम कुमार की शादी रूपवती से हुई तो वह रूप वती की सुंदरता मोहनी सूरत पर इतना फिदा हुआ की रात दिन रूपवती को लिए अटारी पर लेटा रहता था । मां लीलावती जब भी बहू रूपवती को आवाज देती तो दोनों बहू बेटा अनसुनी कर देता था |
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कहते हैं जब वक्त बुरा आता है तो दुख के चारों दरवाजा को खोल देता है।सुखदेव और उनकी पत्नी के अपनी सास के साथ किए हुए पाप का उदय होना शुरू होगया ।सुखदेव औरउनकीपत्नीलीलावती आए दिन बीमार रहने लगी ।सुख देव की जब मौत हो गई। सुखदेव की पत्नी लीलावती अकेली रह गई।सुखदेव की पत्नी लीलावती इतनी बीमार रहने लगी कि चलना फिरना भी उसका दूबर हो गया । मृतक सुखदेव की पत्नीलीलावती जब अपने पुत्ररामकुमार और उस की पत्नी रूपवती को ऊपर से बुलातीतो बहू बेटे नीचे नहींआता। कभी-कभीसुखदेवकीपत्नीलीलावती अपनी बहू पर नाराज होने लगती थी। रूपवती अपनी सास लीलावती से चिढने लगी थी और सास की कोई चिंतानहींकरतीथी। लीलावती को जब बहू से उपेक्षा मिलने लगी तो उसे अपनी सास की कहीं बातें याद आने लगी- सोचने लगी वह भी इसी तरह से अपनी सास की उपेक्षा करती थी। उसी का फल आज उसे भोगना पड़ रहा है ।
एक दिन रात के समय रामकुमार और उसकी की पत्नी रूप बत्ती संभोग क्रिया में लीन थे । तभी सास लीला बत्ती ने अपनी बहु रूपवती और अपने लड़के राम कुमार को बड़ी जोर से आवाज लगाई और कहा– बेटा बहुत जोर से खासी उठ रही है। मुझे आकर दवाई दे दो ।रतिक्रिया मैं लीन बेटे बहू मां पर नाराज हो उठे । बहु क्रोधित होकर पति से बोली– यह बुढ़ियाआए दिन परेशान करती रहती है ।बुढ़िया आए दिन हम लोगों के संभोग क्रिया मे बाधा बनती रहती है । इस बुढ़िया की हत्या करके इस बाधा को जल्दी ही दूर करो । पति पत्नी दोनों क्रोधित होकर कर नीचे उतरे और बुढ़िया का गला दबा कर उनकी हत्या कर दी ।लाश को आंगन में गाड़ दिया औरफिरसभी मोहल्ला वालों से कह दिया कि मां मायके चली गई है। बुरी मौत से लीलावती को अपने कर्मों का फल मिल गया ।
पाप,कभी छिपाये,छिपता नहींहै। एक ना एक दिन उजागर जरूर होता है। यही हुआएकदिनमोहल्ले की कुछ औरतें किसी काम से राम कुमार के घर पर आई तो उन्होंने देखा जो गड्ढा खोदा गया है उसके नीचे से तमाम चीटियां निकल रही है। इस से उन औरतों को कुछ शक हुआ। उन्होंने अपने घर पर जाकरअपनेपतियोंसेकहा। जब मोहल्ले के तमाम लोगआकर पूरे खोदे गड्ढे की मिट्टी को हटाया तो उसके नीचे सड़ी हुई हालत में रामकुमार की माताकाशव मिला । पुलिस को खबर की गई पुलिस ने आकर रामकुमार और उसकी पत्नी रूपवती को गिरफ्तार कर लिया और दोनों को जेल भेज दिया । रामकुमार और उसकी पत्नी को भी अपने कर्मों का फल मिल गया ।
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