कांग्रेस (Congress )नेताओं को अपनी जीत पर है पूरा भरोसा

बेंगलुरू. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के मतदान में एक माह से भी कम वक्त बचा है, लेकिन राजधानी बेंगलुरू में ऐसा चुनावी माहौल अभी बना नहीं है. इस शहर में अगर किसी राजनीतिक पार्टी के प्रचार वाला होर्डिंग देखना हो, तो कुछ मशक्कत करनी पड़ेगी. 2024 के लोकसभा इलेक्शन से पहले होने वाले इस सबसे अहम राज्य में होने वाले चुनाव को लेकर सियासी पारा गरम है. राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है. सभी पार्टी के नेताओं के अपने-अपने दावे और बयान सामने आ रहे हैं.
राज्य के कांग्रेस (Congress ) और भाजपा के कई नेताओं से चर्चा की और पाया कि इस चुनाव में पांच प्रमुख प्वाइंट्स पर चर्चा हो रही है. इनमें कांग्रेस खेमे में अति-विश्वास, जातिगत समीकरण, भाजपा पर 40% कमीशन का दाग, महिलाओं के लिए कांग्रेस का 2000 रुपये प्रति माह का वादा और मोदी फैक्टर शामिल है. कांग्रेस खेमा पहले से यह मानकर चल रहा है कि वह जीत चुका है. उसके कुछ नेता अति-आत्मविश्वास में हैं. उनका कहना है कि राज्य में ‘भ्रष्टाचार के प्रति लोगों में गुस्सा’ है. इधर, भाजपा खेमा मान रहा है कि ‘कांटे की टक्कर’ हो सकती है. लेकिन भाजपा नेता जोर देकर बताते हैं कि 100 से अधिक सीट पर तो वे पहले ही जीत चुके थे और चुनाव के दौरान हमारे ट्रंप कार्ड के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी होंगे जिनके आने से हमारी जीत तय होगी.
कर्नाटक चुनाव कांग्रेस को जीतना जरूरी, वरना भाजपा को …
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ‘कांग्रेस के लिए कर्नाटक चुनाव जीतना बेहद जरूरी है… अगर ऐसा नहीं हुआ तो 2024 के इलेक्शन में बीजेपी को रोक नहीं पाएंगे.’ वहीं, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य चुनाव के कड़े मुकाबले में कांग्रेस अति-आत्मविश्वास में है. कांग्रेस का अभियान जल्द ही खत्म हो जाएगा क्योंकि उनके पास कोई लोकप्रिय राष्ट्रीय नेता नहीं है. वहीं, भाजपा का अभियान सही समय पर अपने चरम पर होगा क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी राज्य का बड़े पैमाने पर दौरा करेंगे. इधर, कांग्रेस का कहना है कि उसने जानबूझकर अभियान को स्थानीय रखा है क्योंकि यह उसकी जीत का फॉर्मूला है. एक कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘हमारा अभियान पूरा हो गया है. अब, हमारे नेता निर्वाचन क्षेत्र स्तर के अभियानों पर ध्यान केंद्रित करेंगे.’