Coal Crisis : बिजली कटौती से जनता हलकान, जाने पूरी खबर
नई दिल्ली। Coal Crisis : बिजली कटौती से जनता हलकान, जाने पूरी खबर! देश में कोयला संकट गहरा गया है और इसका असर देश के ज्यादातर राज्यों में बिजली कटौती के रूप में देखने को मिल रहा है। एक ओर जहां भीषण गर्मी की मार झेल रही जनता को बिजली की कमी ने बेहाल कर दिया है, तो दूसरी ओर उद्योगों का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। लोगों और उद्योगों को इससे हाल-फिलहाल राहत तो मिलती नहीं दिख रही है, जबकि सरकार और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं। पहले देश में बिजली कटौती के हालातों पर एक नजर डाल लेते हैं।
Coal Crisis : सियासत में घमासान, क्या सरकार के दावों से मिलेगी राहत?
हालात ये हैं कि देश के 16 राज्यों में कोयले की कमी के कारण हो रही बिजली कटौती से बुरा हाल है। उत्तर और मध्य भारत में अभूतपूर्व गर्मी के कारण बिजली की मांग रिकार्ड 2.14 लाख मेगावाट के करीब पहुंच गई है। इस बीच बिजली उत्पादन संयंत्रों में कोयले की कमी के कारण मांग के मुकाबले आपूर्ति में जोरदार कमी दर्ज की गई है। यूपी, दिल्ली, बिहार, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान के अलावा जम्मू-कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक उपभोक्ताओं को 2 से लेकर 10 घंटे तक की अघोषित बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में भीषण गर्मी के दौरान इस समय जो बिजली कटौती हो रही है, वो पिछले छह साल से अधिक समय में सबसे ज्यादा है।
Coal Crisis : छह साल में सबसे ज्यादा बिजली कटौती
बिजली उत्पादन में अहम भूमिका निभाने वाले कोयले की भारी कमी के चलते ये हालात पैदा हुए हैं। कोयले का भंडार तकरीबन नौ वर्षों में सबसे कम प्री-ग्रीष्मकालीन स्तर पर आ गया है। बीते गुरुवार को बिजली मंत्रालय ने खुद कहा था कि भारत में पीक-पावर की मांग रिकार्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल के पहले 27 दिनों के दौरान ही बिजली की आपूर्ति 1.88 अरब यूनिट या 1.6 फीसदी तक कम हो गई। उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग अब भी 22,000 मेगावाट के आसपास है, जबकि उपलब्धता लगभग 18,000 मेगावाट है।
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बिहार में एक हजार और हरियाणा में डेढ़ हजार मेगावाट की कमी है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि उसे बिजली आपूर्ति करने वाले कुछ संयंत्रों में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा है। उत्तराखंड में बिजली की रिकार्ड 48.32 मिलियन यूनिट डिमांड अपेक्षित की है, इसके सापेक्ष बिजली खरीदने के बावजूद साढ़े तीन मिलियन यूनिट बिजली की कमी है। शुक्रवार को आठ औद्योगित क्षेत्रों में उत्पादन के आंकड़ों को देखें तो कोर सेक्टर में यह मार्च महीने में 6 फीसदी से घटकर 4.3 फीसदी पर पहुंच गया है। इस बीच गौर करने वाली बात ये है कि कोयले और कच्चे तेल के उत्पादन में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।
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कोयले के उत्पादन की बात करें तो इसमें मार्च 2021 के मुकाबले मार्च 2022 में 0.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि बिजली की बढ़ती डिमांड के कारण पिछले दिनों कोयले की मांग और खपत में जो इजाफा हुआ है, उसके चलते उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद थी। कोयले की कमी पर बीते कुछ दिनों में सरकार की ओर से भी कई बार आंकड़े जारी किए गए हैं। इस बीच शनिवार को सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के सीएमडी पीएम प्रसाद ने कहा कि सीसीएल के पास 60 लाख टन से अधिक कोयला स्टाक मौजूद है। हमने पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार और झारखंड में बिजली संयंत्रों को प्रतिदिन 1.85 लाख टन भेजने का लक्ष्य रखा है।
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उन्होंने कहा कि अंतर-मंत्रालयी समूह देश में कोयले की स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा है। कोयले की कमी और बिजली संकट पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि प्रचुर मात्रा में कोयला, बड़े रेल नेटवर्क, ताप संयंत्रों में अप्रयुक्त क्षमता, फिर भी बिजली की भारी किल्लत है। लेकिन केंद्र सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता है। यह हालात कांग्रेस के 60 साल के शासन के कारण पैदा हुए हैं! उन्होंने कहा कि सरकार ने समाधान ढूंढ़ लिया है, यात्री ट्रेनें रद्द करो और कोयला लदी ट्रेनें चलाओ! मोदी है, मुमकिन है। गौरतलब है कि शुक्रवार को रेलवे ने कोयला माल ढुलाई की सुविधा के लिए 42 यात्री ट्रेन को रद्द कर दिया था।
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कोयले की कमी सिर्फ देश की जनता को ही परेशान नहीं कर रही है, बल्कि इस मुद्दे को लेकर देश की सियासत में भी घमासान मचा हुआ है। कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी जहां आंकड़ों के जरिए स्थिति के नियंत्रण में होने का दावा कर रहे हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को बुलडोजर चलाने के बजाय बिजली संयंत्र चलाने चाहिए। कोयला मंत्री ने कहा है कि राहुल गांधी फेक ज्योतिषी ही नहीं फेक गांधी भी है। वो अगर इतने ही अच्छे ज्योतिषी हैं तो अपने पार्टी का भविष्य बताएं। यूपीए के समय 566 मिलियन टन कोयला की आपूर्ति होती थी और आज हम 818 मिलियन टन आपूर्ति कर रहे हैं।