सीएम नीतीश कुमार का भ्रष्टाचार (corruption )पर बार-बार बदलता रुख

बिहार:2017 में अपने डिप्टी तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को वजह बताते हुए इन्होंने राजद के साथ गठबंधन तोड़ते हुए कहा था कि उन्हें ‘घुटन’ महसूस होती है. छह साल बाद उन्होंने ईडी की कार्रवाई की वजह पार्टी के नए गठबंधन को बताया. इस तरह भ्रष्टाचार (corruption ) पर सुशासन बाबू उर्फ नीतीश कुमार का रुख उन्हीं पर भारी पड़ता दिखा. बिहार की गुलाटी मारती गठबंधन वाली राजनीति में नीतीश ने कई बार गुलाटी खाई है, लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर उनके बदलते रुख से उनकी साफ छवि पर ख़तरा मंडराता दिख रहा है. जैसे कि – 2015 में उन्होंने बीजेपी का हाथ छोड़कर अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद यादव के साथ हाथ मिलाया, तब जबकि 2013 में चारा घोटाले में लालू दोषी करार हुए थे और 11 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते थे. ये तब हुआ जब जदयू के नेता, स्वर्गीय शरद यादव और वर्तमान प्रमुख राजीव रंजन सिंह ने लालू के खिलाफ लड़ाई की अगुवाई की थी, लेकिन इस बात को भुला दिया गया जब जदयू-राजद ने बिहार में जीत हासिल की.
2017 जुलाई में कलह की वजह को नीतीश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ असहिष्णुता बताया था. तब जब सीबीआई ने तेजस्वी और उनके परिवार के खिलाफ आईआरसीटीसी स्कैम के तहत केस दर्ज किया था जिसके बाद कुमार ने यादव का डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा मांगा था. लालू जो उस वक्त जेल में नहीं थे, ऐसा करने से इन्कार किया और नीतीश ने बीजेपी से हाथ मिलाया.
लेकिन पिछले अगस्त कुमार ने फिर से राजद से हाथ मिलाया तब जब कि लालू तीन और चारा घोटाले से जुड़े केस में दोषी ठहराए गए यानी कुल पांच मामलों में दोषी होने के बावजूद कुमार ने 2022 में फिर पलटी मारी और राजद से हाथ मिलाया. सुशासन बाबू की छवि से अलग हटकर कुमार के इस फैसले में 2017 से पहले के बंदोबस्त को दोहराया गया, तेजस्वी डिप्टी सीएम बने और तेज प्रताप यादव को मंत्री बनाया गया.
हाल ही में तेजस्वी के खिलाफ ईडी ने जो छापे मारे, जिसमें एजेंसी ने आधिकारिक तौर पर 600 करोड़ रूपए की अवैध आय पाने का दावा किया है, जिसने एक बार फिर से मुख्यमंत्री को परेशान कर दिया है. यही वजह है कि उन्हें यह प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर होना पड़ा कि यह छापे पिछले साल जदयू और राजद के फिर से हाथ मिलाने के कारण हो रहे थे. हालांकि नौकरी के बदले ज़मीन घोटाले की पेचीदगियों से वह बचते नज़र आए.
लेकिन जदयू के शीर्ष नेता राजीव रंजन सिंह इससे पहले 2020 में हो रहे राज्य चुनाव के दौरान ज़मीन के बदले नौकरी घोटाले को लेकर तेजस्वी के सामने सवाल खड़ा कर चुके है और उनसे इस मामले में सफाई मांग चुके हैं. पर अब वही राजीव रंजन तेजस्वी के समर्थन में आ गए हैं और कहते नज़र आ रहे हैं कि यह गठबंधन किसी भी कीमत पर नहीं टूटेगा.
इन सबके बीच बीजेपी नीतीश को निशाना बनाना नहीं भूल रही, भाजपा के राज्य सभा सांसद और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि तेजस्वी के खिलाफ ईडी की कार्यवाही से नीतीश दरअसल खुश हैं क्योंकि इससे 2025 चुनाव से पहले लालू के बेटे को अगला मुख्यमंत्री बनाने के दबाव से उन्हें निजात मिलेगी.
हाल ही में जदयू नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने यह कहते हुए पार्टी छोड़ी कि राजद तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने का दबाव डाल रही है. वही इस बीच मोदी ने यह भी दावा किया कि राजीव रंजन ने इस घोटाले के दस्तावेज जांच एजेंसी को नीतीश के कहने पर मुहैया कराए. एक वरिष्ठ भाजपा नेता नेबताया कि यह देखना होगा कि अगर तेजस्वी सीबीआई या ईडी द्वारा गिरफ्तार होते हैं तो मुख्यमंत्री का अगला कदम क्या होगा.