लोकतांत्रिक प्रणाली (democratic system)को छिन्न-भिन्न करने की चीन की पूरी साजिश

बीजिंग. चीन अपने आप को दुनिया का सुपरपावर कहलाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है. दुनियाभर में अवैध पुलिस चौकियों को खोलने के लिए हाल ही में उसकी निंदा हुई थी, लेकिन इसके बावजूद उसने कई देशों में वाणिज्य दूतावास और विदेशी अदालतों की स्थापना की है. चीन अपने आलोचकों को सबक सिखाने और लोकतांत्रिक प्रणाली (democratic system) को छिन्न-भिन्न करने की पूरी कोशिश में है.
हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी को मैनचेस्टर में चीनी वाणिज्य दूतावास के मैदान में खींच लिया गया और उसे पीटा गया. यह रिपोर्ट ब्रिटेन की संसद तक पहुंची और सरकार ने इसे बेहद चिंताजनक बताया. वहीं ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. वाणिज्य दूतावास ने अपने बचाव में कहा कि प्रदर्शनकारियों ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अपमानजनक चित्र प्रदर्शित किया था.
इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म रिपोर्टिका की रिपोर्ट के अनुसार, चीन अपनी करतूतों को छिपाने के लिए फर्जी ट्विटर अकाउंट का सहारा ले रहा है. छवियों और वीडियो क्लिप का उपयोग करके अपराध में शामिल चीनी वाणिज्य दूतावासों की सकारात्मक छवि बनाने का काम कर रहा है. यह पहली घटना नहीं है जब वाणिज्य दूतावास विवादों में घिर गए हैं. इससे पहले, 2021 में, ट्विटर पर उइगर महिलाओं को “बेबी बनाने वाली मशीन” के रूप में वर्णित किया था, जिसके बाद संयुक्त राज्य में चीनी दूतावास के आधिकारिक खाते को बंद कर दिया था. बाद में ट्विटर ने भी पोस्ट को हटा दिया था.
रिपोर्टिका के अनुसार, चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत कई देशों में कोर्ट/लीगल सर्विस स्टेशन खोले हैं. चीनी विदेशी संघ और उसके दूतावास के केंद्रों की यूके, स्पेन और इटली में भी मौजूदगी है. कई स्थानीय मीडिया चैनलों की रिपोर्टों के अनुसार, वे चुनावों में हस्तक्षेप करते हैं, स्थानीय राजनीति को प्रभावित करते हैं, युवाओं को साम्यवाद की ओर प्रभावित करते हैं. साथ ही चीन के बाहर से शी जिनपिंग के खिलाफ असंतोष को नियंत्रित करते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार चीनी सरकार ने कनाडा और आयरलैंड जैसे विकसित देशों सहित दुनियाभर में कई अवैध पुलिस स्टेशन खोले थे, जिससे मानवाधिकार प्रचारकों में चिंता पैदा हो गई थी. चीनी सरकार इन अवैध पुलिस स्टेशनों के माध्यम से कुछ देशों में चुनावों को भी प्रभावित कर रही है. फ़ूज़ौ पुलिस का कहना है कि उसने पहले ही 21 देशों में ऐसे 30 स्टेशन खोले हैं. यूक्रेन, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और यूके जैसे देशों में चीनी पुलिस थानों के लिए ऐसी व्यवस्था है और इनमें से अधिकांश देशों के नेता सार्वजनिक मंचों पर चीन के उदय और उसके बिगड़ते मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठाते हैं जो खुद उस मुद्दे का हिस्सा हैं.