अंतराष्ट्रीय

चीन का जल्दी शुरू होने जा रहा विशाल टेलीस्कोप?( टेलीस्कोप)

क्विंन्घाई: चीन;दुनिया में टेलीस्कोप का अलग ही संसार है. उपयोगित के आधार पर इन्होंने दो श्रेणियों में रखा जाता है. एक जो पृथ्वी की सतह पर होते है और दूसरे अंतरिक्ष में स्थापित किए जाते हैं. वैसे तो पृथ्वी के टेलीस्कोप भी कई तरह के होते हैं लेकिन आमतौर पर बड़ी वेधशाला के रूप में जाने वाले ये टेलीस्कोप बहुत बड़े क्षेत्र में स्थापित किए जाते हैं और धरती से ही अंतरिक्ष से आने वाले सकेतों का अवलोकन करते रहते हैं खगोलविज्ञान में ठोस जानकारी हासिल करने में इस तरह के टेलीस्कोप की बड़ी भूमिका रही है. अब इसी महीने चीन का वाइड फील्ड सर्वे टेलीस्कोप  ( टेलीस्कोप) (डब्ल्यूएफएसटी) काम शुरू करने वाला है.

उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा टेलीस्कोप
चीन का वाइड फील्ड सर्वे टेलीस्को इसी महीने काम शुरू कर देगा जो उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा टेलीस्कोप होगा. डब्ल्यूएफएसटी में एक 2.5 मीटर प्राइमरी मिरर के साथ एक प्राइम फोकस कैमरा लगा होगा जो एक बहुत ही विस्तृत क्षेत्र को देखने में सक्षम होगा. चीन की चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क के मुताबिक फिलहाल इंजीनियरिंग परीक्षण और अवलोकन से गुजर रहा है.

क्या है इसकी विशेषता
डब्ल्यूएफएसटी का मूल वैज्ञानिक उद्देश्य खगोलीय गतिकी घटनाओं का अन्वेषण करना और निगरानी रखना है. इसके साथ ही उसके जरिए समय के दायरे मं खगोलीय अवलोकन शोधकार्य भी किए जाएंगे. इससे शोधकर्ताओं को हमारी मिल्वे गैलेक्सी से भी बहुत दूर गैलेक्सी समूह और गैलेक्सी से आने वाले धुंधले संकेत तक को पहचान कर उनका अध्ययन करने का मौका मिलेगा.

चार साल से हो रहा था निर्माण
यह टेलीस्कोप उत्तर पश्चिम चीन के क्विंन्घाई प्रांत के लेंघू एस्ट्रोनॉमिकल ऑबजर्वेशन बेस में स्थापित किया गया है. इसे जुलाई 2019 में यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ चाइना और पर्पल माउंटेन ऑबजर्नवेटरी (पीएमओ) ने बनाना शुरू किया था. पीएमओ के क्विंन्घाई स्टेशन का कहना है कि इसके सितंबर मध्य में शुरू हो जाने की संभावना है.

ऊंचाई पर होने का फायदा
यह बेस चार हजार मीटर की ऊंचाई पर निर्मित किया गया है जिससे आस पास के वायुमंडल के व्यवधान से अंतरिक्ष से आने वाले संकेत अप्रभावित रूप से टेलीस्कोप को मिल सकें. इस ऊंचाई की वजह से इस वेधशाला को अंतरिक्ष के अवलोकन के लिए साफ दृश्यावली, स्थिर वायुमंडलीय हालात, सूखी जलवायु और न्यूनतम कृत्रिम प्रकाश प्रदूषण मिलेगा.

कुल 12 टेलीस्कोप की है योजना
अपनी स्थितियों की वजह से ही यह वेधशाला यूरोशिया महाद्वीप में सबसे बेतरीन अवलोकन स्थल के तौर पर पहचान जाएगी. इस वेधशाला में 2017 से कुल 12 टेलीस्कोप के प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं और इसमें चीन की सरकार ने 2.7 अरब युआन यानि 370 अमेरिकी डॉलर का भारी निवेश किया है. पूरा होने पर यह एशिया की सबसे बड़ी खगोलीय वेधशाला हो जाएगा.

किस तरह के अवलोकन
इस वेधशाला के जरिए उत्तरी आकाश का सर्वाधिक संवेदनशीलता के साथ बदलते ब्रह्माण्ड का सर्वे किया जाएगा जिसमें बहुत सारी टाइम डोमेन घटनाओं, जैसे कि सुपरनोवा, टाइडल डिस्रप्शन घटनाएं, बहुत संदेशवाहक घटनाएं, आदि का अवलोकन कर अध्ययन किया जाएगा. इसके जरिए सौरमंडल के दस लाख पिंडों की विशेष तरीके से अवलोकन किया जाएगा और काइपर पट्टी और उसके भी आगे ग्रहों और चंद्रमाओं की खोज की जाएगी.
इसके अलावा इस वेधशाला के उच्च संवेदी टेलीस्कोप के जरिए मिल्की वे गैलेक्सी और उसके आसपास के ब्रह्माण्ड के पिंडों का बहुत ही ज्यादा सटीक फोटोमैट्रिक और एस्ट्रोमैट्रिक कैटलॉग का निर्माण किया जाएगा. इस वेधशाला में टाइम डोमेन सर्वे तकनीक के उपयोग से सुदूर स्थित छोटे पिंडों का अवलोकन भी संभव हो सकेगा जो सामान्य तकनीक के टेलीस्कोप नहीं पकड़ पाते हैं या बहुत छोटे और धुंधले पिंडों के रूप में दिखते हैं.

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